एक अहम कानूनी विकास में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा अमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (AIIPL) और इसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह अंतरिम आदेश 2022 की एक अभियोजन शिकायत से जुड़ा है और अगली न्यायिक सुनवाई तक प्रभावी रहेगा।
न्यायमूर्ति हेमंता चंदनगौड़र ने यह राहत देते हुए ईडी को निर्देश दिया कि वह मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत अपनी जांच आगे न बढ़ाए। साथ ही, अदालत ने ईडी को नोटिस जारी कर AIIPL और आकार पटेल द्वारा दायर याचिकाओं पर जवाब मांगा है, जिनमें उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करने की मांग की है।
इस मामले की शुरुआत 2019 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी से हुई थी, जिसमें अमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (AIIFT) पर विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। इसके बाद ईडी ने जांच शुरू की और आरोप लगाया कि अमनेस्टी इंडिया ने अपनी यूके शाखा से फंड को वाणिज्यिक मार्गों से भारत भेजा ताकि FCRA के प्रावधानों को दरकिनार किया जा सके।
2020 में भारतीय अधिकारियों द्वारा बैंक खातों को फ्रीज़ किए जाने के बाद अमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने अपना संचालन बंद कर दिया था। संस्था का कहना है कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई नागरिक संगठनों के दमन का हिस्सा है और उन्होंने हमेशा सभी आरोपों से इनकार किया है।
इस मामले में न्यायालय का यह फैसला फरवरी में न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की पीठ द्वारा दिए गए एक अन्य अंतरिम आदेश से प्रभावित था, जिसमें सह-आरोपी जी. अनंतपद्मनाभन को राहत दी गई थी। न्यायालय ने माना कि आकार पटेल और AIIPL के खिलाफ लगे आरोप भी उसी प्रकार के हैं, इसलिए उन्हें भी समान राहत दी जानी चाहिए।
अदालत ने टिप्पणी की, “याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए आरोप पहले दी गई अंतरिम राहत वाले मामले से मेल खाते हैं। अतः यह उचित है कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं को भी वही राहत दी जाए।”
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