कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह मामला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई द्वारा दायर किया गया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के उस पूर्व-चुनावी विज्ञापन अभियान को लेकर आपत्ति जताई गई थी जिसमें पिछली भाजपा सरकार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे।
हाईकोर्ट द्वारा दी गई यह अंतरिम राहत अब निचली अदालत में चल रही सुनवाई को स्थगित कर देगी, जब तक कि सिद्धारमैया द्वारा दायर चुनौती याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता। यह मामला 2023 विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के उस प्रचार अभियान से जुड़ा है, जिसमें भाजपा सरकार को “40% कमीशन सरकार” कहकर संबोधित किया गया था—इससे यह संकेत दिया गया था कि सरकारी सौदों और सेवाओं में भारी घूस ली जा रही है।
इन विज्ञापनों में “भ्रष्टाचार दर कार्ड” भी छपा था, जिसमें यह दर्शाया गया था कि तबादलों, पदस्थापन और निविदा स्वीकृतियों के लिए कथित रूप से कितनी राशि ली जाती थी। ये विज्ञापन कई समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए थे।

इस मानहानि मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार तथा राहुल गांधी को पहले ही इसी तरह की राहत मिल चुकी है, जैसा कि इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया।
यह कानूनी घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर राजनीतिक अटकलें तेज हो रही हैं। हालांकि, गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई “रिक्ति” नहीं है।
उन्होंने कहा, “जहां तक पार्टी का सवाल है, नेतृत्व बदलने का कोई सवाल ही नहीं उठता। मुझे पूरे कार्यकाल के लिए चुना गया है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार भी इस बात से सहमत हैं।