कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को एकल पीठ के उस अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें भूमि कब्ज़ा मामले में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी को भेजे गए समन और विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन पर रोक लगाई गई थी।
मुख्य न्यायाधीश विभु बखरु और न्यायमूर्ति सी एम जोशी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। जून में एकल पीठ ने राज्य सरकार के 28 जनवरी के आदेश, जिसके तहत पांच सदस्यीय एसआईटी गठित की गई थी, और 29 मई को तहसीलदार द्वारा कुमारस्वामी को जारी किए गए समन पर रोक लगा दी थी।
खंडपीठ ने टिप्पणी की कि तहसीलदार को गवाही दर्ज करने और समन जारी करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है। पीठ ने कहा, “ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि तहसीलदार को जांच करने की शक्ति न हो… समन पर रोक का आदेश टिकाऊ नहीं है।” अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को निर्धारित की।

बेंगलुरु क्षेत्रीय आयुक्त अमलान आदित्य बिस्वास की अध्यक्षता में गठित एसआईटी को 14.04 एकड़ सरकारी भूमि पर कथित अतिक्रमण की जांच का ज़िम्मा दिया गया था। एसआईटी गठन के बाद राजस्व अधिकारियों ने सर्वे किया और कुमारस्वामी को समन जारी किए।
कुमारस्वामी ने एकल पीठ के समक्ष दलील दी थी कि कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 195 या कर्नाटक भूमि कब्ज़ा निषेध अधिनियम, 2011 की धारा 8 के तहत कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई थी, जो शक्तियों के प्रत्यायोजन के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना न होने के कारण एसआईटी और राजस्व अधिकारियों की कार्रवाई कानूनी रूप से अवैध है।
वहीं, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि 29 मई को जारी समन कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 28 के तहत वैध हैं और इसमें धारा 195 के तहत किसी शक्ति के प्रत्यायोजन की आवश्यकता नहीं है। सरकार का कहना था कि एकल पीठ का आदेश कानून की गलत व्याख्या पर आधारित था।
सोमवार के फैसले से खंडपीठ ने फिलहाल एसआईटी और राजस्व अधिकारियों की जांच प्रक्रिया को बहाल कर दिया है, जो अंतिम निर्णय तक जारी रहेगी।