कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक महार्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम से जुड़े कथित बहु-करोड़ घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है। यह फैसला मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
इससे पहले, सीबीआई की भूमिका केवल कुछ सीमित अनियमितताओं की जांच तक सीमित थी, लेकिन अब हाई कोर्ट ने राज्य की विशेष जांच टीम (SIT) को निर्देश दिया है कि वह मामले से संबंधित सभी दस्तावेज, सबूत और सामग्री सीबीआई को हस्तांतरित करे, ताकि एक व्यापक और स्वतंत्र जांच हो सके।
यह मामला अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के कल्याण के लिए आवंटित धन के गबन और दुरुपयोग से जुड़ा है। वर्ष 2006 में स्थापित यह निगम, जनजातीय आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए विकास योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु बनाया गया था।

जून माह में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत बेल्लारी से कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम और तीन कर्नाटक विधायकों से जुड़ी संपत्तियों पर छापेमारी की थी। इन छापों के दौरान कथित रूप से फर्जी बैंक खातों और शेल कंपनियों के जरिए धन की हेराफेरी का एक संदिग्ध नेटवर्क सामने आया।
जांच एजेंसियों को संदेह है कि बड़ी मात्रा में धन को 2024 के लोकसभा चुनावों, विशेषकर बेल्लारी सीट पर, चुनावी गतिविधियों में लगाया गया।
हाई कोर्ट का यह आदेश जांच के दायरे को और व्यापक बनाता है और आरोपों की गंभीरता को रेखांकित करता है। इस मामले में पहले ही कर्नाटक पुलिस और सीबीआई द्वारा कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, लेकिन यह निर्देश अब जांच को केंद्रीकृत और तेज करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।