कर्नाटक हाईकोर्ट ने डाक विभाग को निर्देश दिया है कि वह Vihaan Direct Selling (India) Private Ltd, जो क्यूनेट (QNET) की भारतीय सब-फ्रेंचाइज़ी है, की सेवाएं तत्काल बहाल करे। इस आदेश के साथ 18 महीने से जारी वह निलंबन समाप्त हो गया है, जिसने पूरे देश में ग्राहकों तक उत्पादों की आपूर्ति बाधित कर दी थी।
फरवरी 2024 में इंडिया पोस्ट ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की 2019 की एक एडवाइजरी का हवाला देते हुए Vihaan की सेवाएं निलंबित कर दी थीं। उस एडवाइजरी में कंपनी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का उल्लेख किया गया था। इस फैसले से कंपनी के लिए देशभर में अपने उत्पाद ग्राहकों तक पहुँचाना लगभग असंभव हो गया था।
अंतिम आदेश सुनाते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि लंबित जांच को अवैधता का प्रमाण नहीं माना जा सकता।
बेंच ने कहा, “न तो कोई जांच पूरी हुई है और न ही किसी अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला है कि Vihaan की गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। लंबित कार्यवाही को अवैधता का प्रमाण मान लेना उचित नहीं है।”

अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि किसी भी सरकारी विभाग की ओर से जारी ऐसी आधिकारिक संचार, जिसमें न्यायिक निष्कर्ष से पहले ही अवैध गतिविधियों का संकेत दिया जाए, वह न केवल लंबित मामलों को प्रभावित कर सकता है बल्कि कंपनी की प्रतिष्ठा को भी अनुचित रूप से नुकसान पहुँचा सकता है।
हाईकोर्ट ने डाक विभाग को आदेश दिया कि वह Vihaan का लंबित आवेदन निपटाए और दो सप्ताह के भीतर उसकी सेवाएं बहाल करे। इस प्रकार, निलंबन प्रभावी रूप से हटा दिया गया है।
अपनी दलीलों में Vihaan ने आरोप लगाया कि Financial Frauds Victims Welfare Association (FFVWA) और इसके सदस्य गुरुप्रीत सिंह आनंद ने डाक विभाग के फैसले को प्रभावित किया और उनके खिलाफ “ब्लैकमेल और गलत सूचना फैलाने का अभियान” चलाया।
कंपनी ने यह भी जोर दिया कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने वर्ष 2017 में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि उसका व्यवसाय मॉडल Prize Chits and Money Circulation Schemes (Banning) Act का उल्लंघन नहीं करता।