कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें राज्य सरकार के इस वर्ष मैसूरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक से कराने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश विभु भाकरु और न्यायमूर्ति सी. एम. जोशी की खंडपीठ ने पूर्व भाजपा सांसद प्रताप सिंघा द्वारा दायर याचिका सहित चार याचिकाओं पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया।
मैसूरु जिला प्रशासन ने 3 सितंबर को मुश्ताक को औपचारिक आमंत्रण भेजा था। लेकिन इस निर्णय का भाजपा नेताओं और कुछ समूहों ने विरोध किया, यह कहते हुए कि मुश्ताक के पूर्व में दिए गए कुछ बयान “हिंदू संस्कृति विरोधी” माने जाते हैं। आलोचकों का कहना है कि उनका चयन उन धार्मिक परंपराओं का अपमान है जिनके तहत दशहरा की शुरुआत चामुंडी हिल्स स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार और देवी को पुष्पांजलि अर्पण से की जाती है।
विवाद तब और बढ़ गया जब एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें मुश्ताक ने कन्नड़ भाषा को देवी भुवनेश्वरी के रूप में पूजने पर आपत्ति जताई थी, यह कहते हुए कि यह अल्पसंख्यकों के लिए बहिष्करणकारी है। कई भाजपा नेताओं ने उनसे दशहरा उद्घाटन से पहले देवी चामुंडेश्वरी के प्रति अपनी आस्था स्पष्ट करने की मांग की थी।
मुश्ताक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनके पुराने भाषण को तोड़-मरोड़ कर सोशल मीडिया पर फैलाया गया है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया है और वे कर्नाटक की सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करती हैं।
हाईकोर्ट द्वारा याचिकाएँ खारिज किए जाने के बाद राज्य सरकार का फैसला बरकरार रहेगा और मुश्ताक ही इस वर्ष दशहरा का उद्घाटन करेंगी।
मैसूरु दशहरा को कर्नाटक का “नाडा हब्बा” (राज्योत्सव) माना जाता है। इस वर्ष उत्सव 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को विजयादशमी पर सम्पन्न होगा। परंपरा के अनुसार, उद्घाटन चामुंडी हिल्स स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर में देवी की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है।




