कांचीपुरम के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी एम. शंकर गणेश) को न्यायालय द्वारा एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज मामले में कार्रवाई न करने पर न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के आदेश के खिलाफ उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
सोमवार को कांचीपुरम के प्रिंसिपल सेशंस जज पा. उ. चेम्मल, जो एससी/एसटी मामलों के लिए नामित विशेष न्यायाधीश भी हैं, ने डीएसपी को 22 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। यह आदेश तब दिया गया जब अधिकारी अदालत में पेश हुए और याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक माह पहले दर्ज शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। अदालत ने संज्ञान (suo motu) लेते हुए पाया कि जांच अधिकारी के रूप में डीएसपी ने अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया।
हिरासत आदेश के बाद डीएसपी शंकर गणेश को उच्च रक्तचाप की समस्या होने लगी, जिसके चलते उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंगलवार दोपहर तक वे चिकित्सकीय देखरेख में रहे। हालांकि, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने स्पष्ट किया कि न्यायिक हिरासत का आदेश 22 सितंबर तक प्रभावी है।

यह मामला वालाजाबाद की “बेकरी हिंसा” घटना से संबंधित है, जिसमें एससी/एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत ने जांच अधिकारी से मामले की स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। रिपोर्ट न सौंपने और विधिक प्रावधानों का पालन न करने पर अदालत ने पुलिस अधिकारी को फटकार लगाई और कठोर कदम उठाए।