जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति में पेशी से पहले हाई-प्रोफाइल वकीलों से की सलाह-मशविरा

एक ताजा घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अपने आवास पर नकदी बरामदगी से जुड़ी जांच के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस जांच समिति के समक्ष अपनी आगामी पेशी से पहले हाई-प्रोफाइल वकीलों की एक टीम से सलाह-मशविरा किया है।

जस्टिस वर्मा को सलाह देने वाली इस कानूनी टीम में वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल, अरुंधति कातजू, और अधिवक्ता तारा नरूला, स्तुति गुर्जर सहित अन्य शामिल हैं। ये वकील इस सप्ताह दो बार उनके आवास पर पहुंचे और पेशी की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की।

यह जांच समिति सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई है और इसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल हैं। समिति इस समय दिल्ली में मौजूद है और न्यायमूर्ति वर्मा से कई बार मुलाकात करने की योजना है।

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कार्यवाही से जुड़े एक करीबी सूत्र ने बताया, “ये कार्यवाही चिंताजनक हैं। यह महाभियोग और संभावित आपराधिक मुकदमेबाजी की पूर्वपीठिका हो सकती है।” कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श से यह संकेत मिलता है कि जस्टिस वर्मा अपनी पेशी को लेकर बेहद सावधानीपूर्वक तैयारी कर रहे हैं, जो आगे की कानूनी प्रक्रिया की दिशा तय कर सकती है।

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यह पूरा मामला 14 मार्च को उस समय सामने आया जब जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद अनजाने में बड़ी मात्रा में नकदी की बरामदगी हुई। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसी बरामदगी के बाद जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिनका उन्होंने लगातार खंडन किया है और इसे अपनी छवि खराब करने की साजिश बताया है।

इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा नकदी बरामदगी का वीडियो साझा किया गया है, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया गया है।

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इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट भी प्रकाशित की है, जिसमें पूरे घटनाक्रम का विवरण और जस्टिस वर्मा की ओर से दिए गए जवाब शामिल हैं।

इसी सिलसिले में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सिफारिश की है कि जस्टिस वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाई कोर्ट, में वापस भेजा जाए। यह निर्णय अभी केंद्र सरकार की स्वीकृति की प्रतीक्षा में है।

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