इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकद बरामदगी प्रकरण में एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई है।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे, ने अधिवक्ता और याचिकाकर्ता मैथ्यूज नेडुमपारा की ओर से मामले का उल्लेख किए जाने पर कहा, “यदि याचिका में मौजूद खामियां दूर कर दी जाती हैं, तो इसे कल (मंगलवार) सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है।”
नेडुमपारा ने अदालत को बताया कि वे मंगलवार को उपलब्ध नहीं हैं और इस कारण याचिका को बुधवार को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। पीठ ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि यदि याचिका की प्रक्रियात्मक त्रुटियां दूर कर दी जाती हैं, तो मामले को बुधवार को सूचीबद्ध किया जाएगा।
यह याचिका नेडुमपारा सहित चार याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई है, जिसमें मांग की गई है कि न्यायमूर्ति वर्मा के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही तत्काल शुरू की जाए, क्योंकि इन-हाउस जांच समिति ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को prima facie (प्रथम दृष्टया) सही पाया है।
याचिका में कहा गया है कि भले ही आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यह विधिसम्मत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं हो सकता।
मार्च 2024 में भी इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इन-हाउस जांच को चुनौती दी थी और पुलिस जांच की मांग की थी, लेकिन उस समय सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को समयपूर्व मानकर खारिज कर दिया था कि आंतरिक प्रक्रिया अभी चल रही है।
अब जबकि जांच प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है और समिति द्वारा न्यायमूर्ति वर्मा को दोषी ठहराया गया है, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आपराधिक कार्रवाई में और विलंब न्यायसंगत नहीं है।
ज्ञात हो कि जांच समिति की रिपोर्ट के बाद तत्समय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा से इस्तीफा देने का सुझाव दिया था। जब उन्होंने इनकार कर दिया, तो मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था।
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, बशर्ते याचिका की सभी खामियां समय रहते दूर कर दी जाएं।