The Times of India (TOI) की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति ने पुष्टि की है कि 14 मार्च को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के तुगलक क्रेसेंट स्थित सरकारी आवास के स्टोररूम से बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। यह रिपोर्ट न्यायमूर्ति वर्मा के उस दावे के बिल्कुल विपरीत है जिसमें उन्होंने इस तरह की किसी भी बरामदगी से इनकार किया था।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन की समिति ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपी है। उन्होंने न्यायमूर्ति वर्मा को दो दिनों के भीतर जवाब देने का अवसर दिया है। 13 मई को सेवानिवृत्त होने वाले सीजेआई खन्ना इस मामले को “तार्किक निष्कर्ष” तक ले जाने के पक्ष में बताए जा रहे हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
TOI के अनुसार, समिति ने दिल्ली पुलिस आयुक्त, दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख, आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों व कर्मचारियों सहित कुल 50 गवाहों के बयान दर्ज किए। अधिकतर गवाहों ने पुष्टि की कि 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान स्टोररूम में नकदी जलती हुई देखी गई, जब न्यायमूर्ति वर्मा भोपाल में थे।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ नकदी जो नहीं जली थी, वह बाद में रहस्यमय तरीके से गायब हो गई। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय ने भी 21 मार्च को सीजेआई को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में इस “गायब हुई नकदी” का उल्लेख किया था।
वीडियो सबूत और प्रारंभिक संदेह
दिल्ली पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो और फोटो साक्ष्य, जिनमें स्टोररूम में जलती हुई नकदी दिखाई गई है, न्यायमूर्ति उपाध्याय ने जब न्यायमूर्ति वर्मा को दिखाए, तो उन्होंने इसे “साजिश” बताया। ये सबूत 20 मार्च को सीजेआई को सौंपे गए।
न्यायमूर्ति उपाध्याय को न्यायमूर्ति वर्मा का स्पष्टीकरण असंतोषजनक लगा और उन्होंने “इस मामले में गहराई से जांच” की सिफारिश की। इसके बाद सीजेआई ने 22 मार्च को जांच समिति का गठन किया और उसी दिन सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करते हुए निर्देश दिया कि उन्हें कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।
न्यायमूर्ति वर्मा का इनकार
अपनी लिखित प्रतिक्रिया में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा:
“मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कभी उस स्टोररूम में नकदी रखी है। यह आरोप कि वह नकदी हमारी है, पूरी तरह से निराधार और हास्यास्पद है।”
उन्होंने आगे कहा कि भोपाल से लौटने के बाद 15 मार्च की शाम को उन्होंने स्टोररूम का निरीक्षण किया था और उन्हें वहां कोई नकदी नहीं मिली।
“जब मैंने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर वह वीडियो देखा जिसमें नकदी जलती हुई दिखाई दे रही थी, तो मैं पूरी तरह से स्तब्ध रह गया। यह वह दृश्य नहीं था जो मैंने खुद जाकर देखा था। तभी मैंने कहा कि यह मुझे फंसाने की साजिश लग रही है,” न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि जांच के दौरान न्यायमूर्ति वर्मा के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) भी खंगाली गईं, हालांकि रिपोर्ट में इनसे संबंधित विशिष्ट निष्कर्ष सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
Source: TOI