न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। हाईकोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय में आयोजित एक समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस नियुक्ति के साथ, न्यायमूर्ति अग्रवाल को उसी अदालत में अतिरिक्त न्यायाधीश के पद से स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है।

सुबह 10:30 बजे शुरू हुए इस समारोह में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीश, महाधिवक्ता, बार के वरिष्ठ सदस्य और हाईकोर्ट रजिस्ट्री के अधिकारी उपस्थित थे।

नियुक्ति की पृष्ठभूमि

न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा, भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए की गई है। इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना विधि एवं न्याय मंत्रालय, न्याय विभाग (नियुक्ति प्रभाग) द्वारा 8 अगस्त, 2025 को जारी की गई थी, जिसमें उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से उनकी स्थायी नियुक्ति की पुष्टि की गई।

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न्यायिक करियर और कानूनी अनुभव

31 जुलाई, 1968 को छत्तीसगढ़ के भाटापारा में जन्मे न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल ने 1991 में लॉ कॉलेज, राजनांदगांव से एलएलबी की डिग्री पूरी की। उन्होंने 14 सितंबर, 1992 को एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया और बिलासपुर के जिला न्यायालय व अन्य अधीनस्थ न्यायालयों में अपनी प्रैक्टिस शुरू की।

वर्ष 2000 में, उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के समक्ष अपनी प्रैक्टिस शुरू की, जहां उन्होंने सिविल, आपराधिक और रिट मामलों में विशेषज्ञता के साथ विभिन्न प्रकार के मामले संभाले। उन्होंने 2017 से दिसंबर 2018 तक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए सरकारी वकील के रूप में भी कार्य किया। उनकी कानूनी विशेषज्ञता भारतीय मानक ब्यूरो और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ जैसे विभिन्न संस्थानों के वकील के रूप में भी प्रदर्शित हुई। वह छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पैनल अधिवक्ता भी थे।

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न्यायिक क्षेत्र में उनकी यात्रा 20 अक्टूबर, 2023 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति के साथ शुरू हुई। स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी पुष्टि को राज्य के सर्वोच्च न्यायिक निकाय की कार्यप्रणाली और मजबूती में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा जा रहा है।

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