न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण नियुक्ति के तहत, केंद्र सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति को आधिकारिक मंजूरी दे दी है। इस घोषणा को केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर साझा किया, जहां उन्होंने राष्ट्रपति द्वारा इस नियुक्ति को स्वीकृति देने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश के बाद आया है, जिसने पिछले सप्ताह इस पदोन्नति की अनुशंसा की थी। इस सिफारिश में यह उल्लेख किया गया कि 18 जुलाई 2013 को न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर के सेवानिवृत्त होने के बाद से कलकत्ता हाई कोर्ट का कोई भी न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश नहीं बना है। वर्तमान में न्यायमूर्ति बागची भारत के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, जिनमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं, की ऑल इंडिया वरीयता सूची में 11वें स्थान पर हैं। उनके सुप्रीम कोर्ट में आने से न्यायिक अनुभव और विशेषज्ञता को एक नई दिशा मिलेगी।
न्यायमूर्ति बागची की नियुक्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वे 25 मई 2031 को न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की सेवानिवृत्ति के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। वे इस उच्च पद पर 2 अक्टूबर 2031 को अपनी सेवानिवृत्ति तक कार्यरत रहेंगे। यह नियुक्ति कलकत्ता हाई कोर्ट की न्यायिक विरासत को देश की सर्वोच्च न्यायपालिका में एक नई पहचान देने वाली है।

वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाई कोर्ट से केवल एक अन्य न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिससे न्यायमूर्ति बागची की नियुक्ति और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट, जिसकी अधिकतम स्वीकृत संख्या 34 न्यायाधीश है, में अब केवल एक पद रिक्त बचा है। न्यायमूर्ति बागची की नियुक्ति से भारतीय न्यायपालिका में पूर्वी भारत की न्यायिक दृष्टिकोण को और मजबूती मिलेगी।