भारत की न्याय प्रणाली में एक अद्वितीय और मानवीय मिसाल पेश करते हुए तेलंगाना के निजामाबाद ज़िले के बोधन नगर में एक मजिस्ट्रेट ने बुज़ुर्ग दंपती की शारीरिक असमर्थता को देखते हुए अदालत कक्ष से बाहर आकर सड़क पर फैसला सुनाया।
अतिरिक्त कनिष्ठ सिविल जज एस. साई शिवा ने 498ए आईपीसी (वैवाहिक क्रूरता) के तहत दर्ज मामले में आरोपी एक बुज़ुर्ग जोड़े के लिए निर्णय सुनाने के लिए स्वयं अदालत भवन से बाहर निकलकर सड़क किनारे पहुँचे, जहाँ वह जोड़ा एक रिक्शा में बैठा हुआ था। उनकी यह कार्रवाई न केवल मानवीय संवेदना का प्रतीक बनी, बल्कि देशभर में न्यायिक संवेदनशीलता की एक प्रेरणादायक मिसाल के रूप में सराही गई।
मामले में आरोपी कांतापु सयम्मा और कांतापु नडपी गंगाराम नामक दंपती थे, जिन्हें उनकी बहू द्वारा वर्ष 2021 में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोपी बनाया गया था। तेलंगाना पुलिस द्वारा दिसंबर 2021 में चार्जशीट दाखिल की गई थी। यह मुकदमा पिछले तीन वर्षों में लगभग 30 बार सुना गया और अंततः 22 अप्रैल 2025 को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा गया था।
बुज़ुर्ग दंपती की शारीरिक स्थिति अत्यंत जर्जर थी — एक पूर्व दुर्घटना में घायल होने के कारण वे अदालत परिसर में प्रवेश करने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने रिक्शा के माध्यम से अदालत तक पहुँचने का प्रयास किया, लेकिन भवन की सीढ़ियाँ चढ़ पाना संभव नहीं था।
इस स्थिति को देखते हुए न्यायाधीश साई शिवा ने स्वयं सड़क पर जाकर रिक्शे में बैठे बुज़ुर्ग व्यक्ति और हाथ जोड़कर खड़ी उनकी पत्नी के समक्ष निर्णय सुनाया। इस दौरान का एक मार्मिक चित्र ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ द्वारा प्रकाशित किया गया, जिसमें जज को एक कुर्सी पर बैठकर निर्णय पर हस्ताक्षर करते हुए देखा जा सकता है।
अदालत ने संक्षिप्त आदेश में कहा:
“Accused No.1 and 2 found not guilty for the offence punishable under section 498A of IPC.”
(“अभियुक्त संख्या 1 और 2 भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत दंडनीय अपराध में दोषमुक्त पाए गए।”)
इस प्रकार अदालत ने दोनों को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
यह घटना न्यायपालिका की बुनियादी संरचनात्मक समस्याओं की भी ओर इशारा करती है, जैसे कि अदालतों तक पहुंच की असुविधा, विशेष रूप से बुज़ुर्ग और अशक्त व्यक्तियों के लिए। बावजूद इसके, न्यायाधीश साई शिवा की संवेदनशीलता और न्याय के लिए उनकी प्रतिबद्धता को सोशल मीडिया और विधि विशेषज्ञों द्वारा भरपूर सराहना मिल रही है।
न्यायाधीश साई शिवा, जिन्होंने 2023 में सिविल जज परीक्षा उत्तीर्ण की थी, हैदराबाद के महात्मा गांधी लॉ कॉलेज से स्नातक हैं। उन्होंने पूर्व में ‘तेलंगाना टुडे’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा था:
“बचपन से ही मुझे कानून में रुचि रही है। मैंने न्यायाधीश बनने का निर्णय इसलिए लिया ताकि पीड़ित और अभियुक्त के बीच संतुलन बनाए रख सकूं। मैं त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”