बिहार के दरभंगा जिले की एक स्थानीय अदालत में शुक्रवार को उस समय नाटकीय मोड़ आ गया जब एक वरिष्ठ क्रिमिनल वकील को कोर्ट में ही गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया गया। यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब पता चला कि वकील ने अपनी गैरमौजूदगी की झूठी जानकारी कोर्ट को दी थी।
मामला दरभंगा के चर्चित क्रिमिनल वकील अंबर इमाम हाशमी से जुड़ा है, जो एक 32 साल पुराने हत्या के मामले में आरोपी हैं। उनके साथ तीन अन्य लोग भी इस मामले में अभियुक्त हैं। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को व्यवहार न्यायालय में एडीजे-तृतीय सुमन कुमार दिवाकर की अदालत में निर्धारित थी।
हाशमी ने सुनवाई से पहले फॉर्म-317 दाखिल कर यह जानकारी दी थी कि वह जिले से बाहर हैं और उपस्थित नहीं हो सकते। लेकिन इसी दिन जब जज दिवाकर की अदालत में एक अन्य मामले की सुनवाई चल रही थी, तो वही हाशमी वहां वकालत करते हुए दिखाई दिए।

उन्हें देख कर जज ने तत्काल सवाल उठाया कि जब उन्होंने कोर्ट को बताया कि वह जिले से बाहर हैं, तो फिर वे कैसे कोर्ट में मौजूद होकर बहस कर सकते हैं? जब हाशमी द्वारा दी गई सफाई से संतुष्ट नहीं हुए, तो जज ने उन्हें तुरंत हिरासत में लेने का आदेश दे दिया। यह आदेश मिलते ही कोर्ट परिसर और वकील समुदाय में खलबली मच गई।
इसके बाद भारी संख्या में पुलिस बल कोर्ट पहुंचा और अधिवक्ता हाशमी को हिरासत में ले लिया। उसी समय उनके साथ मौजूद एक अन्य वकील सुशील कुमार चौधरी को भी लहेरियासराय थाने ले जाया गया। इस दौरान पुलिसकर्मियों और अधिवक्ताओं के बीच कहासुनी और हल्की झड़प की भी सूचना मिली, जिसमें कुछ कपड़े फटने और धक्का-मुक्की की बात सामने आई है।
बाद में खबर आई कि अधिवक्ता सुशील कुमार चौधरी को रिहा कर दिया गया, जबकि इस पूरे घटनाक्रम ने वकीलों के आचरण और अदालत में अनुशासन को लेकर गंभीर चर्चा छेड़ दी है।