सुप्रीम कोर्ट ने भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के दिवाला समाधान (resolution) मामले में JSW स्टील को बड़ा झटका देते हुए उसकी ₹19,700 करोड़ की समाधान योजना को अवैध करार दिया और कंपनी की परिसमापन (liquidation) प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि JSW स्टील द्वारा प्रस्तुत योजना को कर्जदाताओं की समिति (Committee of Creditors – CoC) द्वारा मंजूर किया जाना कानून के विरुद्ध था और इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए था। न्यायालय ने कहा, “यह योजना अवैध थी और इसे स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था।”
इस आदेश के बाद 2 मई को सुबह 11:30 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर JSW स्टील के शेयरों में लगभग 4% की गिरावट दर्ज की गई, और यह ₹986 प्रति शेयर के स्तर पर कारोबार कर रहे थे।

JSW स्टील, जिसने ₹19,700 करोड़ की बोली लगाकर भूषण पावर के लिए समाधान आवेदक (resolution applicant) के रूप में सफलता प्राप्त की थी, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस अधिग्रहण को अंजाम नहीं दे सकेगी। यह निर्णय कंपनी की विस्तार योजनाओं के लिए एक गंभीर झटका माना जा रहा है।
गौरतलब है कि BPSL के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2020 में एक अभियोजन शिकायत दायर की थी, जिसमें कंपनी को उसके पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के साथ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी बनाया गया था। यह मामला ₹47,204 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा था, जिसने समाधान प्रक्रिया को और जटिल बना दिया था।
हालांकि, इस वर्ष की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट ने भूषण पावर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही को रद्द कर दिया था, जिससे JSW स्टील के पक्ष में अनुकूलता दिखाई दे रही थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के लिक्विडेशन आदेश के बाद वह राहत भी अप्रासंगिक हो गई है।