झारखंड हाईकोर्ट ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) मेसरा पर कैंपस में पिछले वर्ष हुई एक छात्र की हत्या के मामले में 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि मृतक छात्र के माता-पिता को दी जाएगी। अदालत ने माना कि संस्थान अपने संरक्षण में मौजूद छात्र की सुरक्षा करने में विफल रहा और यह संस्थागत विफलता एक जीवन की क्षति का कारण बनी।
न्यायमूर्ति संजय प्रसाद ने फैसले में कहा कि बीआईटी मेसरा की लापरवाही इस घटना में अहम रही। इसके साथ ही अदालत ने राज्यभर के सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए व्यापक सुरक्षा और चिकित्सा संबंधी प्रोटोकॉल लागू करने के निर्देश दिए।
अनिवार्य चिकित्सा सुविधाएं
अदालत ने आदेश दिया कि सभी स्कूल और कॉलेज सरकारी व निजी अस्पतालों की सूची, जिनमें एम्बुलेंस सुविधा हो, अद्यतन रूप से रखें। प्रत्येक संस्थान में 500 से 1,000 छात्रों पर एक पुरुष और एक महिला डॉक्टर के साथ मेडिकल डिस्पेंसरी या क्लिनिक होना चाहिए, जिसमें आवश्यक दवाएं और जीवनरक्षक औषधियां उपलब्ध हों।

कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करना
कक्षा के अंदर और बाहर, छात्रावास के प्रवेश द्वार और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। अस्पतालों और डॉक्टरों के नाम व संपर्क विवरण कक्षाओं और प्रमुख स्थानों पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किए जाएं।
शिकायत और निगरानी तंत्र
प्रत्येक संस्थान में एक अलग शिकायत निवारण प्रकोष्ठ, छात्र निगरानी टीम और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल बनाया जाए, जिससे छात्रों, अभिभावकों और प्रशासन के बीच सीधा संवाद हो सके।
मामले की पृष्ठभूमि
यह दिशा-निर्देश उस समय जारी किए गए जब अदालत ने दोषियों मौसमी कुमार सिंह, अभिषेक कुमार, साहिल अंसारी और इरफान अंसारी की अपीलें खारिज कर दीं। अदालत ने पहले ही राज्य के पुलिस महानिदेशक और सरकार को शैक्षणिक परिसरों में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाने के निर्देश दिए थे।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने स्पष्ट किया कि छात्रों की सुरक्षा शैक्षणिक संस्थानों की मौलिक जिम्मेदारी है और सुरक्षा प्रोटोकॉल में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।