कोल वॉशरी से जुड़े प्रदूषण और क्षतिग्रस्त सड़क को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने CCL और राज्य प्रशासन को दिए सख्त निर्देश

झारखंड हाईकोर्ट ने रामगढ़ जिले में स्थित एक कोल वॉशरी से संबंधित प्रदूषण, क्षतिग्रस्त सड़क, और मोटर यान नियमों के उल्लंघन को लेकर सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और अन्य सरकारी अधिकारियों को विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश तारलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने पारित किया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह जनहित याचिका खुशीलाल महतो व अन्य द्वारा दायर की गई थी, जिसमें रामगढ़ जिले के बसंतपुर गांव के निकट स्थित CCL की कोल वॉशरी के कारण होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण और सड़कों की दयनीय स्थिति को मुद्दा बनाया गया था।

कोर्ट ने पहले ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), रामगढ़ के सचिव को मौके पर निरीक्षण कर दो मुख्य मुद्दों पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था:

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  1. क्या कोल वॉशरी तक समुचित सड़कें निर्मित हैं?
  2. क्या कोयला ले जाने वाले ट्रकों को ढका गया है ताकि धूल और प्रदूषण न फैले?
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सचिव द्वारा दी गई निरीक्षण रिपोर्ट

ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल के कारण सचिव, DLSA केवल पहले मुद्दे की जांच कर सके। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया:

  • “बसंतपुर से कोल वॉशरी तक की सड़क लगभग 400 मीटर दूरी तक क्षतिग्रस्त पाई गई।”
  • “क्षतिग्रस्त सड़क के कारण गांववासियों को धूल और ट्रकों के शोर से परेशानी हो रही है।”

हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देश

प्राप्त तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश दिए:

  1. सड़क मरम्मत:
    “400 मीटर की क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत चौथे प्रतिवादी [CCL] द्वारा की जाएगी और डामरीकरण कार्य मानसून के बाद किया जाएगा।”
  2. कोयला ढोने वाले ट्रक:
    “सुनिश्चित किया जाए कि कोयला ढोने वाले सभी ट्रक तिरपाल से पूरी तरह ढके हों ताकि परिवहन के दौरान धूल न फैले।”
  3. ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण:
    “रामगढ़ के पुलिस अधीक्षक यह सुनिश्चित करें कि कोई भी ट्रक प्रेशर हॉर्न या मल्टी-टोन हॉर्न का उपयोग न करे। मोटर यान अधिनियम, 1989 के अध्याय V का अक्षरशः पालन कराया जाए।”
  4. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश:
    झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उसके सदस्य सचिव को निर्देश दिया गया कि वे सुनिश्चित करें:
    • मोटर यान अधिनियम, 1989 और ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 का पालन हो।
    • कोई भी वाहन प्रेशर हॉर्न, मल्टी-टोन हॉर्न, अतिरिक्त लाइट, या अन्य अवैध मॉडिफिकेशन के साथ न चलाया जाए।
    • “रेड और ब्लू लाइट जैसी आपातकालीन लाइटें हटाई जाएं।”
    • सभी “अधिकृत-अनधिकृत ध्वजचिन्हों को हटाया जाए और फ्लैग कोड का पालन सुनिश्चित किया जाए, चाहे वे किसी राजनीतिक दल या धार्मिक संगठन से संबंधित क्यों न हों।”
    • इन सभी बिंदुओं पर पुलिस महानिदेशक और बोर्ड के सदस्य सचिव द्वारा व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
  5. लाउडस्पीकर पर नियंत्रण:
    “सुनिश्चित किया जाए कि रात्रि 10:00 बजे से प्रातः 6:00 बजे तक बिना अनुमति कोई लाउडस्पीकर न बजाया जाए।”
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आगे की कार्यवाही

चूंकि सचिव, DLSA हड़ताल के कारण दूसरे मुद्दे की जांच नहीं कर सके, इसलिए कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले पुनः रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

अगली सुनवाई की तिथि: 11 अगस्त 2025

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