झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार की कड़ी खिंचाई की और कहा कि मदरसों के सेवानिवृत्त शिक्षकों को पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान सुनिश्चित करने के उसके पूर्व आदेश का पालन नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति आनंदा सेन की अदालत एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे मोहम्मद एजबुल हक़ ने दायर किया है। अदालत ने स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने और अवमानना कार्यवाही का सामना करने के लिए तलब किया है।
याची ने उल्लेख किया कि 2024 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि मदरसों से सेवा-निवृत्त होने वाले शिक्षकों को पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान राज्य सरकार सुनिश्चित करे। लेकिन सरकार की ओर से इस आदेश का पालन नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने पहले एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके अनुसार 2014 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले मदरसा शिक्षकों को पेंशन और ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया जाएगा। इस अधिसूचना को हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर पिछले वर्ष को रद्द कर दिया था।
याची ने आरोप लगाया कि अधिसूचना रद्द होने के बावजूद सरकार की कार्यवाही “ढीली” है और अब तक सेवानिवृत्त शिक्षकों को पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान जारी नहीं किया गया है।
अदालत ने इस रवैये पर नाराज़गी जताई और वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया।
मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी।

