इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपराध की हिस्ट्रीशीट खोलने के बाद समीक्षा न करने के आरोप में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है और याचिका को सुनवाई हेतु 26 जून को पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एक जून 23 के आदेश से सरकारी अधिवक्ता से जानकारी मांगी थी।
अपर शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची के खिलाफ 18 आपराधिक केस का इतिहास है। किंतु यह नहीं बता सके कि इन केसों का परिणाम क्या रहा। यह भी बताने में असमर्थ रहे कि 11 अप्रैल 1997 को हिस्ट्रीशीट खोलने के बाद वह लगातार हिस्ट्रीशीटर कैसे बना रहा। कोर्ट ने कहा कि यदि जवाब नहीं दिया गया तो कोर्ट अधिकारी को तलब करेगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति एके सिंह देशवाल की खंडपीठ ने बरेली जिला के शोएब इब्राहिम की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता का कहना था कि 11 अप्रैल 1997 को याची की हिस्ट्रीशीट खोली गई। उप्र पुलिस रेग्यूलेशन 231 के अनुसार हर दो वर्ष पर हिस्ट्रीशीट पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। ऐसा न कर याची के मानवाधिकार व मूल अधिकारों का हनन किया गया है। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।