जम्मू में कार्डियक सेवाओं के ठप होने पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान; कहा मामला “अत्यंत संवेदनशील”

जम्मू के सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (GSSH) में हृदय संबंधी प्रक्रियाओं के अचानक ठप हो जाने को लेकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई और इसे “अत्यंत संवेदनशील मामला” मानते हुए स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की।

मुख्य न्यायाधीश अरुण पाली और न्यायमूर्ति राजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने कहा, “Ex facie, the matter is highly sensitive. Thus, we are impelled to take suo motu cognisance of the prevailing conditions.” अदालत ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि इस मामले को “Court on its own motion versus Nemo” शीर्षक से लोकहित याचिका के रूप में पंजीकृत कर उसी दिन पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। अमिकस क्यूरी एस एस अहमद के अनुरोध पर सुनवाई 29 दिसंबर तक स्थगित की गई।

READ ALSO  चेक बाउंस मामले में हस्तलेख विशेषज्ञ कब बुलाया जाना चाहिए- जानिए हाईकोर्ट का फैसला

अदालत ने Excelsior में प्रकाशित रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए कहा कि आपूर्तिकर्ताओं ने लगभग ₹30 करोड़ की बकाया राशि के चलते एंजियोप्लास्टी स्टेंट, पेसमेकर, बैलून और कैथ लैब से जुड़ी अन्य जीवनरक्षक सामग्रियों की सप्लाई रोक दी।

अदालत ने दर्ज किया कि सामान्य दिनों में GSSH में प्रतिदिन लगभग 25 कार्डियक प्रक्रियाएं की जाती हैं, लेकिन सप्लाई बाधित होने के कारण “पूरे दिन एक भी हृदय संबंधी हस्तक्षेप नहीं किया जा सका”, जिससे मरीज गंभीर जोखिम में आ गए और कैथ लैब की सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं।

READ ALSO  'अगर ये गैंगस्टर नहीं है, तो देश में कोई गैंगस्टर नहीं है': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार अंसारी कि जमानत याचिका ख़ारिज की

जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य विभाग ने पूरे मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है, ताकि कारणों की पहचान, जिम्मेदारी तय और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुधारात्मक कदम सुझाए जा सकें। विभाग ने नियमों के उल्लंघन के चलते दोषी सप्लायर्स की मेडिकल दुकानों को बंद करने का निर्देश भी दिया है।

यह घटनाक्रम उन चार लंबित लोकहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सामने आया, जिनमें जम्मू और श्रीनगर में बेहतर चिकित्सा अवसंरचना के लिए दिशा-निर्देश और निजी नर्सिंग होम व स्वास्थ्य केंद्रों के विनियमन की मांग की गई है।

READ ALSO  लेनदारों की व्यावसायिक समझदारी वैधानिक दावों पर भारी पड़ती है: सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा सेज प्राधिकरण के लिए बकाया राशि में कमी के साथ समाधान योजना को बरकरार रखा

अदालत ने टिप्पणी की कि एक दशक से अधिक समय बीतने और 15 स्थिति/अनुपालन रिपोर्ट दायर होने के बावजूद मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन में गंभीर कमी की ओर संकेत करते हैं।

अमिकस क्यूरी अहमद ने अदालत को बताया कि उन्होंने सभी याचिकाओं और आदेशों का अध्ययन कर लिया है और मुद्दों को समेकित कर एक संरचित शपथपत्र दाखिल करने के लिए समय मांगा है।

अदालत ने संबंधित विभागों और अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिए हैं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles