जम्मू में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक सख्त निर्देश जारी करते हुए वकीलों के अलावा किसी भी व्यक्ति को कोर्ट परिसर में काली कोट, सफेद शर्ट और काली पैंट पहनने से मना कर दिया है। यह कदम वकीलों की पहचान की गरिमा बनाए रखने और फर्जी वकीलों पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है। एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अंशु महाजन ने शनिवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर इस निर्णय की जानकारी दी।
बयान में कहा गया है, “कोई भी क्लर्क, वादकारी या आम नागरिक कोर्ट परिसर में सफेद शर्ट, काली पैंट और काली कोट पहनकर प्रवेश नहीं कर सकता।” ऐसा करने वाले व्यक्ति को “दलाल (tout)” माना जाएगा और उसके खिलाफ कानून के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी, जिसमें औपचारिक शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
बार एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि यह पोशाक “केवल वकीलों के लिए आरक्षित है, जो पेशेवर पहचान और विधिक समुदाय की गरिमा का प्रतीक है।” साथ ही, वकीलों को निर्देश दिया गया है कि उनके साथ कार्यरत इंटर्न केवल काले टाई और उचित पोशाक पहनें, लेकिन तब तक कोर्ट परिसर में ‘बैंड’ न पहनें जब तक वे विधिवत रूप से अधिवक्ता के रूप में नामांकित न हो जाएं।

हालांकि, इस निर्देश को लेकर न्यायिक और वकील समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एनआईए कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुभाष चंदर गुप्ता ने इसे “असामान्य लेकिन उपयोगी कदम” बताया। उन्होंने कहा, “अक्सर दलाल खुद को वकील बताकर लोगों को गुमराह करते हैं, जिससे अदालत की व्यवस्था प्रभावित होती है।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि गर्म मौसम को देखते हुए सफेद शर्ट पर प्रतिबंध को दोबारा विचार किया जाना चाहिए।
सीनियर एडवोकेट शेख शकील अहमद ने बार एसोसिएशन के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि युवा वकील लगातार इस बात को लेकर चिंतित थे कि फर्जी लोग वकील बनकर वादकारियों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह पेशे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहा था, इसलिए बार ने इस पर नियंत्रण के लिए यह पहल की है।”
यह निर्देश देशभर में विभिन्न बार एसोसिएशनों द्वारा अदालतों की पेशेवर मर्यादा बनाए रखने और वादकारियों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की कड़ी में एक अहम कदम माना जा रहा है।