कल, जनहित याचिका जिसके द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय कोविड 19 महामारी के खिलाफ लड़ाई की निगरानी कर रही है, सूचीबद्ध थी, और इसमें न्यायालय ने आगे के निर्देश जारी किए हैं।
Allahabad High Court की डिवीजन बेंच ने फिर से सार्वजनिक रूप से महामारी फैलने से रोकने के लिए मास्क पहनने पर जोर दिया है।
माननीय न्यायाधीशों ने 23.09.2020 के अपने आदेश का उल्लेख किया, जिसमें मास्क पहनने की अनिवार्यता के संबंध में निर्देशित किया गया था, परन्तु इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय में उपस्थित विभिन्न वकीलों द्वारा सूचित किया गया कि 100 प्रतिशत लोग अभी भी मास्क नहीं पहन रहे है।
इस प्रयोजन के लिए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को निम्नलिखित मामलों में आगे की कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया-
- पूरे यूपी में विभाग के सभी प्रमुख अपने कर्मचारियों को अनुस्मारक भेजेंगे कि उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को अनिवार्य रूप से मास्क पहनना है। यह दैनिक आधार पर किया जाना चाहिए।
- राज्य पुलिस को अनिवार्य रूप से मास्क पहनना चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि उनके आसपास के क्षेत्र में हर कोई मास्क पहनता है।
- यहाँ यह उल्लेख किया जा सकता है कि विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों के घरों के बाहर प्रतिनियुक्त सुरक्षाकर्मी अपने मास्क नहीं पहन रहे हैं। उन्हें मास्क पहनना चाहिए और उनके पास से गुजरने वाले लोगों से भी अनुरोध करना चाहिए कि वे भी मास्क पहनें।
- भोजनालयों के अलावा अन्य सभी दुकानें यह सुनिश्चित करेंगी कि ग्राहक / व्यक्ति जो उनके परिसर में प्रवेश करते हैं, वे हर समय मास्क पहनेंगे। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि मास्क न पहनने पर जुर्माना और अभियोजन किया जाएगा।
Allahabad High Court द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर फोटो खींचना जारी रख सकते हैं, जैसा कि पूर्व में उनके द्वारा किया गया है और राज्य प्राधिकरण उन तस्वीरों पर कार्रवाई कर सकता है।
Allahabad High Court ने अतिक्रमण हटाने के संबंध में विकास प्राधिकरणों और नगर निगम के बीच सत्ता के अतिव्यापी मुद्दे पर भी विचार किया है। सभी संबंधित प्रावधानों पर विचार करने के बाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि विकास प्राधिकरण, प्रयागराज में तुरंत प्रभाव से सार्वजनिक सड़क और सड़क के किनारे के सभी अनधिकृत अतिक्रमणों को हटाने के लिए आगे बढ़े।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महामारी के इन दिनों में अधिवक्ता आयुक्तों द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की है। न्यायालय ने निर्देश दिया है कि अधिवक्ता आयुक्तों को न्यूनतम रु 500 / -प्रति रिपोर्ट का भुगतान किया जाए, जो उन्होंने प्रस्तुत किया है। यह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए परिपत्र दिनांक 26.04.2016 के अनुरूप है, जिसमें प्रत्येक वकील को न्यूनतम रु 500 / – प्रति आवेदन देने का प्राविधान है।
मामले की अगली सुनवाई अब 14.10.2020 को होगी।
Case Details
Title- In-Re Inhuman Condition At Quarantine Centres And For Providing Better Treatment To Corona Positive vs State of U.P.
Case No.- Public Interest Litigation (Pil) No. 574 Of 2020
Date of Order- 07.10.2020
Coram-Hon’ble Justice Siddhartha Varma and Hon’ble Justice Ajit Kumar
Counsel for Petitioner :- Gaurav Kumar Gaur,Aditya Singh Parihar,Amitanshu Gour,Arvind Kumar Goswami,Jitendra Kumar,Katyayini,Rahul Sahai,Rishu Mishra,S.P.S.
Chauhan, S atyaveer Singh, Shailendra Garg, Sunita Sharma,Swetashwa Agarwal,Uttar Kumar Goswami
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Dhiraj Singh,Hari Nath Tripathi,Purnendu Kumar Singh,Satyavrat Sahai,Sunil Dutt Kautilya