हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को सिरमौर ज़िले के माजरा क्षेत्र में 13 जून को हुई हिंसा के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल और पौंटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी को अंतरिम जमानत दे दी। इस घटना में पथराव के दौरान पुलिस कर्मियों सहित दस से अधिक लोग घायल हुए थे।
न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह की एकल पीठ ने पुलिस को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई की तारीख — 24 जून — तक दोनों नेताओं के खिलाफ कोई दमनात्मक कार्रवाई न की जाए। दर्ज एफआईआर में उनके खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 109 के तहत हत्या के प्रयास और अवैध जमावड़ा जैसी धाराएं शामिल हैं।
यह मामला एक 18 वर्षीय हिंदू लड़की और 19 वर्षीय मुस्लिम युवक के कथित प्रेम प्रसंग और भाग जाने से उपजे तनाव से जुड़ा है। 13 जून को हिंदू संगठनों द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान भीड़ लाठियों और धारदार हथियारों से लैस होकर युवक के घर की ओर बढ़ी, जिसके बाद दो गुटों के बीच पथराव हुआ और स्थिति हिंसक हो गई। पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया और कीरतपुर, मलियों, फतेहपुर व मिस्सरवाला गांवों में BNSS की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा 19 जून तक लागू कर दी।
राजीव बिंदल और सुखराम चौधरी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर यह आरोप लगाया कि यह एफआईआर राजनीतिक द्वेषवश दर्ज की गई है और राज्य सरकार का मकसद भाजपा नेताओं को डराना है। बिंदल ने कहा, “सरकार असली दोषियों के बजाय हिंदू परिवारों को निशाना बना रही है और भय का माहौल बना रही है।”
मामला उस समय और पेचीदा हो गया जब 12 जून को सामने आए एक वीडियो में लड़की ने खुद को अपनी मर्जी से युवक के साथ जाना बताया और पुलिस से उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न करने की अपील की। बाद में लड़की को 14 जून को ढूंढ़ लिया गया और उसके बयान ने कथित अपहरण की शिकायत को संदिग्ध बना दिया।
वहीं, इस अंतरिम राहत पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भाजपा पर इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए और राजनीतिक व सामाजिक संगठनों को ऐसे संवेदनशील मामलों को सांप्रदायिक रंग देने से बचना चाहिए।