पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की जमीन न मिलने के कारण ठप पड़ी परियोजनाओं को लेकर पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि मुआवजा जारी होने के बावजूद जमीन पर कब्जे में बाधा डालने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर अधिग्रहण पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है।
यह मुद्दा एनएचएआई द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका के माध्यम से सामने आया, जिसमें भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती दी गई है, जिसमें मेमदपुर (अंबाला) से बनूर (आईटी सिटी चौक) से खरड़ (चंडीगढ़) कॉरिडोर शामिल है। एनएचएआई ने बताया कि दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे, लुधियाना-रूपनगर से खरड़ हाईवे और लुधियाना-बठिंडा हाईवे जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं जमीन न मिलने के कारण लंबित हैं।
पिछले साल अक्टूबर में हाईकोर्ट ने एनएचएआई को संबंधित प्राधिकरण को अधूरे/लंबित प्रोजेक्ट की सूची उपलब्ध कराने का आदेश दिया था और मुख्य सचिव को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। साथ ही, कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने की मांग की थी कि एनएचएआई को दो महीने के भीतर जमीन पर कब्जा मिल जाना चाहिए।*
हाल ही में, एनएचएआई ने कोर्ट को बताया कि पिछले आदेशों के बावजूद पंजाब में जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया है। कोर्ट को बताया गया कि 897 किलोमीटर लंबी 26 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए, जिनकी लागत 34,193 करोड़ रुपये है, अभी तक 100% जमीन पर कब्जा नहीं मिला है। इसके अलावा, 391 किलोमीटर लंबी 10 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए, जिनकी लागत 13,190 करोड़ रुपये है, 80% आवश्यक जमीन हासिल नहीं हुई है।
जमीन की अनुपलब्धता के कारण कुछ अनुबंध रद्द कर दिए गए हैं, जिसके कारण ठेकेदार को अनुबंध राशि का 1% मुआवजा भुगतान करना पड़ा है। 4,104 करोड़ रुपये जमा करने के बावजूद, सरकार विभिन्न मामलों में मुआवजा दी गई जमीन पर कब्जा दिलाने में विफल रही है।