पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में हरियाणा सरकार को पंचायत स्तर पर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के क्रियान्वयन में ढिलाई बरतने के लिए फटकार लगाई है। कोर्ट ने ग्रामीण विकास विभाग के सचिव एवं निदेशक सहित अन्य अधिकारियों को ग्राम पंचायतों में आरटीआई अधिनियम को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्हें विभाग की वेबसाइट पर निधियों के आवंटन एवं उपयोग के बारे में जानकारी भी देनी होगी।
यह कार्रवाई फरीदाबाद निवासी भगवत दयाल द्वारा दायर याचिका के जवाब में की गई है, जिसमें उन्होंने हरियाणा राज्य सूचना आयुक्त के एक निर्णय को चुनौती दी थी। आयुक्त ने सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत उनकी दूसरी अपील को खारिज कर दिया था। दयाल ने फरीदाबाद में हरिपुर पंचायत द्वारा 2015 से 2019 तक प्राप्त एवं व्यय किए गए धन का ब्यौरा मांगा था। सूचना प्राप्त करने में विफल रहने पर उन्होंने निर्णय के विरुद्ध अपील की थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया था।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि ग्रामीण लगातार अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों द्वारा प्राप्त या उपयोग किए गए अनुदान/निधि के बारे में एक जैसी जानकारी मांगते हैं, लेकिन विभाग अक्सर विभिन्न बहानों के तहत आवश्यक कार्रवाई से बचता है। इससे अनावश्यक याचिकाएं दायर होती हैं और ग्रामीणों को परेशान किया जाता है।
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कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हरियाणा में किसी भी ग्राम पंचायत के लिए राज्य लोक सूचना अधिकारी (एसपीआईओ) नियुक्त नहीं किए गए हैं, जबकि ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243(डी) और 243-बी के अनुसार जमीनी स्तर पर काम करने वाली लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं। हाईकोर्ट ने अब ग्रामीण विकास विभाग के आयुक्त, सचिव, निदेशक और विशेष सचिव को ग्राम पंचायत स्तर पर आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन और प्रत्येक पंचायत के लिए एसपीआईओ की नियुक्ति के संबंध में जानकारी देने के लिए नोटिस जारी किए हैं।