राजस्थान हाईकोर्ट ने सेवा संबंधी मामले में चार साल पहले दिए आदेश की अब तक पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने 18 मई तक आदेश की पालना नहीं होने पर प्रमुख पंचायती राज सचिव को हाजिर होने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि प्रमुख पंचायती राज सचिव शपथ पत्र दायर कर बताए कि अब तक आदेश की पालना क्यों नहीं की गई। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि आदेश की पालना कर ली जाती है तो प्रमुख सचिव को हाजिर होने की आवश्यकता नहीं है। जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश शिव राम गुर्जर की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसएस राघव अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत को आश्वस्त किया कि आदेश की पालना जल्दी कर ली जाएगी। ऐसे में पालना के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि विभाग चार साल की अवधि बीतने के बाद भी आदेश की पालना करने में असफल रहा है। इस पर अदालत ने 18 मई तक पालना नहीं होने पर विभाग के प्रमुख सचिव को तलब किया है।
अवमानना याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता करौली की टोडाभीम पंचायत समिति में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत है। विभाग की ओर से उसे चयनित वेतनमान सहित अन्य परिलाभ प्रथम नियुक्ति तिथि से नहीं दिए गए। वहीं पंचायती राज विभाग में समायोजन से पहले उसकी ओर से सिंचाई विभाग में की गई सेवा अवधि की गणना भी नहीं की गई। इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सितंबर 2019 को विभाग को याचिकाकर्ता की प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना करने और पूर्व की सेवा अवधि का लाभ देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद भी विभाग की ओर से अब तक इस आदेश की पालना नहीं की गई है।