पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सतलोक आश्रम प्रमुख और स्वयंभू संत रामपाल की उम्रकैद की सजा पर रोक लगा दी है। रामपाल को वर्ष 2018 में हिसार की अदालत ने पांच श्रद्धालुओं की मौत से जुड़े मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति गुरविंदर सिंह गिल और न्यायमूर्ति दीपिंदर सिंह नलवा की खंडपीठ ने 2 सितंबर को यह आदेश सुनाया, जिसकी प्रति गुरुवार को अपलोड की गई। अदालत ने रामपाल की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने सजा निलंबित करने की मांग की थी।
19 नवंबर 2014 को हिसार जिले के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम में पुलिस और रामपाल समर्थकों के बीच टकराव हुआ था। उस दौरान पुलिस ने करीब 15,000 श्रद्धालुओं को आश्रम से बाहर निकाला। झड़प में पांच लोगों की मौत हुई थी, जिनमें चार महिलाएं शामिल थीं। इसके बाद रामपाल और उनके अनुयायियों को गिरफ्तार किया गया।

हिसार की अदालत ने अक्टूबर 2018 में रामपाल को हत्या (धारा 302), अवैध बंधन (धारा 343) और आपराधिक साजिश (धारा 120बी) के आरोपों में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा दी थी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हालांकि आरोप हैं कि रामपाल ने महिलाओं और अन्य लोगों को कैद कर रखा था, लेकिन मौतें हत्या से हुईं या नहीं, यह एक विवादित मुद्दा है। अदालत ने कहा, “मृतकों के परिजन, जो प्रत्यक्षदर्शी हैं, उन्होंने अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया और कहा कि आंसू गैस के गोले छोड़े जाने से दम घुटने की स्थिति बनी।”
अदालत ने यह भी नोट किया कि रामपाल पहले ही 10 साल 8 महीने 21 दिन जेल में बिता चुके हैं और उनकी आयु 74 वर्ष है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने उनकी सजा निलंबित करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने रामपाल को राहत देते हुए स्पष्ट किया कि वे किसी भी प्रकार की “भीड़ मानसिकता” को प्रोत्साहित नहीं करेंगे और ऐसे किसी आयोजन या सभा में भाग नहीं लेंगे, जहाँ कानून-व्यवस्था भंग होने का खतरा हो। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि वे इन शर्तों का उल्लंघन करते हैं या लोगों को अपराध के लिए उकसाते पाए जाते हैं, तो राज्य सरकार उनकी जमानत रद्द करने की कार्रवाई कर सकती है।
रामपाल के वकीलों ने दलील दी कि मौतें पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने से दम घुटने और भगदड़ की वजह से हुई थीं। मेडिकल रिपोर्ट में भी प्राकृतिक मौत का संकेत है और रामपाल को झूठा फंसाया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि उनके सभी 13 सह-अभियुक्तों को पहले ही जमानत मिल चुकी है, इसलिए समानता के आधार पर उन्हें भी यह राहत मिलनी चाहिए।
वहीं, राज्य सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि रामपाल ने महिलाओं और अन्य लोगों को बंधक बनाकर रखा था, जिससे दम घुटने की स्थिति बनी और उनकी मौत हुई।
रामपाल की सजा के खिलाफ अपील फिलहाल हाईकोर्ट में लंबित है।