बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो वर्षीय बीमार बच्चे की अंतरिम कस्टडी के लिए त्वरित सुनवाई से इनकार करने पर बीड़ जिले की फैमिली कोर्ट के जज को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की संवेदनहीनता “किसी जज के आचरण के अनुरूप नहीं” है। अदालत ने बच्चे के पिता को अंतरिम कस्टडी प्रदान करते हुए मां को भी फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति रोहित जोशी की औरंगाबाद वेकेशन बेंच ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता पिता ने कहा कि उनका बेटा जून के पहले सप्ताह में छत्रपति संभाजीनगर के एमजीएम अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी से गुजरने वाला है। इस कारण उन्होंने बीड़ जिले के कैज स्थित फैमिली कोर्ट में अंतरिम कस्टडी की अर्जी लगाई और उस पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
हालांकि, फैमिली कोर्ट ने मामले की तात्कालिक सुनवाई से इनकार कर दिया। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, “बच्चे की ओपन हार्ट सर्जरी जैसी गंभीर स्थिति में फैमिली कोर्ट द्वारा याचिका को सुनवाई के लिए न लेना, किसी भी जज के आचरण के अनुरूप नहीं है।”

हाईकोर्ट ने बच्चे की मां के व्यवहार पर भी नाराज़गी जताई, जिन्होंने खुद यह स्वीकार किया कि ऑपरेशन आवश्यक है, फिर भी उन्होंने पिता की कस्टडी याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने कहा, “मां का यह व्यवहार भी उतना ही चौंकाने वाला है, जो ऑपरेशन की आवश्यकता स्वीकार करने के बावजूद अंतरिम कस्टडी का विरोध कर रही हैं।”
अदालत ने पिता की याचिका स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि बच्चे की सर्जरी और अस्पताल में भर्ती की अवधि के दौरान वह पिता की कस्टडी में रहेगा। अदालत ने निर्देश दिया, “मां को बच्चे की कस्टडी चिकित्सा सलाह के अनुसार आगे पुनः सौंप दी जाएगी।”