पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने डड्डूमाजरा डंपिंग साइट से विरासत कचरे को पूरी तरह हटाने की निश्चित समय-सीमा मांगी

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को चंडीगढ़ नगर निगम (एमसी) से डड्डूमाजरा डंपिंग साइट से विरासत कचरे को पूरी तरह हटाने की स्पष्ट समय-सीमा मांगी। यह निर्देश 2016 में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया।

सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि अनुमानित 2.40 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) विरासत कचरे में से अब तक 40,000 मीट्रिक टन कचरा हटाया जा चुका है। शेष 2 लाख मीट्रिक टन कचरे को 31 मई तक हटा दिया जाएगा। एमसी के वकील ने बताया कि फिलहाल तीन एजेंसियां इस काम में लगी हुई हैं और पुराने कचरे के ढेर पूरी तरह साफ कर दिए गए हैं।

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नगर निगम ने यह भी सूचित किया कि डड्डूमाजरा में एक एकीकृत ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्र (ISWM Plant) स्थापित करने की योजना है, जो शहर के पूरे कचरे को प्रोसेस करने में सक्षम होगा। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि फिलहाल डड्डूमाजरा साइट पर कोई नया कचरा नहीं डाला जा रहा है।

अदालत ने यह समय-सीमा लंबे समय से लंबित जनहित याचिका की पुनः सुनवाई के दौरान मांगी, जिसमें वर्षों से जमा कचरे को हटाने की मांग की गई है। इस वर्ष की शुरुआत में नगर निगम ने 5 लाख और 8 लाख मीट्रिक टन के दो बड़े कचरे के ढेरों का बायोरेमिडिएशन कार्य पूरा कर लिया था।

कार्यवाही के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता अमित शर्मा द्वारा दायर आवेदनों का समय पर जवाब नहीं देने पर केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन पर ₹20,000 का जुर्माना भी लगाया। इन आवेदनों में नगर निगम और यूटी प्रशासन पर मामले के दौरान बार-बार झूठी जानकारी देने और संस्थागत स्तर पर ग़लत बयानी करने के आरोप लगाए गए हैं।

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अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।

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