इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को अंबेडकरनगर के पूर्व विधायक पवन पांडेय द्वारा उनके खिलाफ दर्ज भूमि धोखाधड़ी के मामले में आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकलपीठ ने कहा कि मुकदमे की पूर्वावस्था में कोर्ट “मिनी-ट्रायल” नहीं कर सकती और इस स्तर पर हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।
अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपों के गुण-दोष का मूल्यांकन इस चरण में करना अभियोजन को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिए बिना होगा, जो न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
यह मामला एक विधवा और उसके पुत्र अजय सिंह की करोड़ों रुपये मूल्य की भूमि को अवैध रूप से हथियाने के प्रयास से जुड़ा है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पवन पांडेय के सहयोगी मुकेश तिवारी ने एक फर्जी बिक्री अनुबंध (दिनांक 25 अगस्त 2020) प्रस्तुत किया, जो कथित रूप से अजय सिंह द्वारा हस्ताक्षरित बताया गया था। अजय सिंह की मृत्यु 23 अक्टूबर 2020 को हो गई थी।
इसके अतिरिक्त, एक महिला नीतू सिंह को मामले में जोड़ा गया, जिसने दावा किया कि उसी दिन (23 अक्टूबर 2020) उसने अजय सिंह से आर्य समाज मंदिर में विवाह किया था, जिससे कथित भूमि पर दावा और मजबूत हो सके।
सुनवाई के दौरान, अपर महाधिवक्ता वी.के. शाही ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच में पवन पांडेय की भूमिका एक मुख्य षड्यंत्रकर्ता के रूप में सामने आई है। उन्होंने तर्क दिया कि इस चरण में साक्ष्यों की गहराई से जांच संभव नहीं है।
मामले के अभिलेखों का अवलोकन करने के बाद, अदालत ने पाया कि पवन पांडेय के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। न्यायमूर्ति विद्यार्थी ने आदेश में कहा, “इस चरण में आरोपों के गुण-दोष का विस्तृत मूल्यांकन कर मिनी-ट्रायल नहीं किया जा सकता, विशेषकर जब अभियोजन पक्ष को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर ही नहीं मिला है।”
इसके साथ ही, अदालत ने पूर्व विधायक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखने को उचित ठहराया।