इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि 2021 की उप निरीक्षक (सिविल पुलिस), प्लाटून कमांडर (पीएसी) और अग्निशमन अधिकारी भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की महिला अभ्यर्थियों के लिए अलग मेरिट सूची तैयार की जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.एस. शमशेरी की एकलपीठ ने नेहा शर्मा और 53 अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि सरकार ने महिलाओं को दिए गए क्षैतिज आरक्षण के तहत सामान्य वर्ग (722 पद) और ईडब्ल्यूएस वर्ग (181 पद) की सीटों को मिलाकर कुल 903 पदों की संयुक्त मेरिट सूची तैयार की, जिससे ईडब्ल्यूएस श्रेणी की महिलाओं को नुकसान हुआ।
अदालत ने माना कि संयुक्त सूची बनाने के चलते ईडब्ल्यूएस कोटे की 181 आरक्षित सीटों में से केवल 34 पर ही ईडब्ल्यूएस श्रेणी की महिलाओं को नियुक्ति मिल पाई, जबकि आरक्षण का उद्देश्य इससे कहीं अधिक था।

न्यायालय ने कहा, “राज्य सरकार यह दिखाने में विफल रही कि कोई ऐसा नियम या शासनादेश है, जो महिला आरक्षण को सामान्य व ईडब्ल्यूएस श्रेणी में अलग-अलग लागू करने के बजाय संयुक्त रूप से लागू करने की अनुमति देता हो।”
राज्य सरकार की इस दलील को भी खारिज कर दिया गया कि कुल 903 महिलाओं की भर्ती कर ली गई है, इसलिए आरक्षण की पूर्ति हो गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक श्रेणी में आरक्षण का पृथक अनुप्रयोग आवश्यक है, केवल कुल आंकड़ों की पूर्ति पर्याप्त नहीं है।
23 मई को दिए गए इस फैसले से भर्ती प्रक्रिया पर व्यापक असर पड़ सकता है और ईडब्ल्यूएस श्रेणी की कई महिला अभ्यर्थियों के लिए रास्ता खुल सकता है।