गोवा: मेडिकल दाखिले की प्रक्रिया के बीच लागू किए गए स्पोर्ट्स कोटा को हाईकोर्ट ने रद्द किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोवा सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू होने के बाद स्पोर्ट्स कोटा लागू किया गया था। अदालत ने कहा कि यह कदम प्रवेश प्रॉस्पेक्टस में तय नियमों के विपरीत है और ‘खेल शुरू होने के बाद नियम बदलने’ जैसा है।

जस्टिस भारती एच. डांगरे और जस्टिस निवेदिता पी. मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश एनईईटी अभ्यर्थी की याचिका पर सुनाया। याचिकाकर्ता ने तकनीकी शिक्षा निदेशालय (डीटीई) द्वारा 1 अगस्त को जारी उस नोटिस को चुनौती दी थी, जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों (CFF) श्रेणी की रिक्त सीटों के लिए खिलाड़ियों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। आदेश 25 अगस्त को पारित हुआ और मंगलवार को सार्वजनिक किया गया।

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पीठ ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए जारी कॉमन एडमिशन प्रॉस्पेक्टस, जिसमें गोवा मेडिकल कॉलेज बंबोलिम की 180 एमबीबीएस सीटें और गोवा डेंटल कॉलेज की 50 बीडीएस सीटें शामिल हैं, “कानून का बल” रखता है और यह अधिकारियों तथा उम्मीदवारों—दोनों पर बाध्यकारी है।
अदालत ने कहा, “बिना प्रॉस्पेक्टस में संशोधन या उसमें बदलाव की अधिसूचना जारी किए, काउंसलिंग शुरू होने के बाद नई श्रेणी में आवेदन आमंत्रित करना नियमों को बीच खेल बदलने जैसा है।”

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याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एस. कान्टक ने कहा कि डीटीई ने 28 जुलाई को काउंसलिंग का कार्यक्रम घोषित किया था। पहले दौर की काउंसलिंग 1 अगस्त को होनी थी, लेकिन बाद में 5 अगस्त को कर दी गई। इस बीच, 30 जुलाई को मेरिट सूची भी जारी कर दी गई थी।
5 अगस्त को पहले दौर की काउंसलिंग में सामान्य श्रेणी की अंतिम एमबीबीएस सीट रैंक 78 वाले उम्मीदवार को और बीडीएस की पहली सीट रैंक 108 वाले उम्मीदवार को मिली। इस स्थिति में याचिकाकर्ता को सीट मिलने की प्रबल संभावना थी। लेकिन 14 अगस्त तक आवेदन की अनुमति देकर नया स्पोर्ट्स कोटा लागू किए जाने से उनकी उम्मीदें टूट गईं।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता देवदास पांगम ने फैसले का बचाव किया और कहा कि यह राज्य की कार्यकारी शक्तियों तथा 2009 की गोवा खेल नीति के अनुरूप है। गोवा फुटबॉल एसोसिएशन और फेंसिंग एसोसिएशन समेत कई खेल संघों ने भी कोटे का समर्थन किया और कहा कि कई राज्यों ने पहले से ही ऐसी व्यवस्था लागू की हुई है।
हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां बना सकती है, लेकिन उन्हें प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही प्रॉस्पेक्टस में शामिल करना आवश्यक है।

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पीठ ने कहा, “अगर स्पोर्ट्स कोटा पहले से ही प्रॉस्पेक्टस में दर्ज होता तो हम हस्तक्षेप नहीं करते। लेकिन मेरिट सूची प्रकाशित होने और काउंसलिंग के दौरान नया कोटा लागू करना पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित करता है, जो स्वीकार्य नहीं है।”

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