गौहाटी हाईकोर्ट ने असम के Foreigners Tribunals (विदेशी न्यायाधिकरणों) में रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था को “बेतरतीब” बताते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की है और राज्य सरकार से इन मामलों को संभालने वाले सदस्यों व अधीक्षकों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की है।
न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराणा और न्यायमूर्ति मालस्री नंदी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी गोविंदा साहा द्वारा दायर एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान की, जिन्हें नागांव जिले की एक विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा “अवैध विदेशी” घोषित किया गया था। हाईकोर्ट ने उस निर्णय को बाद में निरस्त कर दिया।
मामला एफटी 2451/2011 की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रिकॉर्ड की जांच करते हुए कई प्रक्रियागत खामियों को उजागर किया, जिनमें दस्तावेजों का गलत लेबलिंग और एक-दूसरे पर ओवरलैपिंग शामिल थी। पीठ ने कहा कि ये प्रदर्शित दस्तावेज न्यायाधिकरण के आदेश में न तो उल्लेखित हैं और न ही इन पर कोई उचित चर्चा की गई है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “जैसा कि पहले संकेत दिया गया है, सभी प्रदर्शित दस्तावेजों की ओवरलैपिंग पाई गई है और उन्हें न्यायाधिकरण द्वारा न तो संदर्भित किया गया और न ही चर्चा की गई। इससे प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता को अपने अधिवक्ता से उचित सहायता नहीं मिली, जिन्होंने प्रदर्श वस्तुओं को ठीक से चिह्नित नहीं किया।”
रिकॉर्ड्स की अव्यवस्था पर चिंता जताते हुए पीठ ने कहा कि निजी सचिवों की मदद के बावजूद प्रासंगिक दस्तावेजों को खोजने में दो घंटे से अधिक का समय लगा।
इस स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वह इस आदेश की एक प्रति असम सरकार के गृह और राजनीतिक विभाग के आयुक्त और सचिव को भेजे, ताकि राज्य सरकार विदेशी न्यायाधिकरणों के सदस्यों और अधीक्षकों के लिए एक औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम पर विचार कर सके।
पीठ ने कहा, “मामला संख्या FT 2451/2011 के रिकॉर्ड जिस अव्यवस्थित तरीके से रखे गए हैं, उसे देखकर कोर्ट यह निर्देश देने को बाध्य है कि यह आदेश राज्य के गृह विभाग को भेजा जाए ताकि वह राज्य के सभी विदेशी न्यायाधिकरणों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पर विचार करे।”
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने यह आदेश असम के सभी Foreigners Tribunals में भी भेजने का निर्देश दिया ताकि दस्तावेजों के रख-रखाव में सुधार सुनिश्चित किया जा सके।