गौहाटी हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कार्रवाई न करने को लेकर बार अध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया

गौहाटी हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और जस्टिस एन. उन्नी कृष्णन नायर की खंडपीठ ने गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल नयन चौधरी को आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 24 मार्च 2025 को बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन के दौरान दो वकीलों द्वारा एक वर्तमान जज के खिलाफ की गई अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कोई कार्रवाई न करने के कारण जारी किया गया।

मामला पृष्ठभूमि:

यह अवमानना कार्यवाही असम के महाधिवक्ता द्वारा न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(ग), 11, 12 और 15(1)(क) तथा संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत शुरू की गई थी। यह मामला प्राग न्यूज चैनल पर प्रसारित और सोशल मीडिया पर वायरल हुए उस वीडियो से संबंधित है, जिसमें बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित धरने के दौरान गौहाटी हाईकोर्ट के जज सुमन श्याम के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही गई थीं।

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महाधिवक्ता ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार भट्टाचार्य और अधिवक्ता पल्लवी तालुकदार द्वारा दिए गए बयान अपमानजनक थे और कोर्ट की प्रतिष्ठा को कम करने के उद्देश्य से दिए गए थे। चूंकि यह धरना बार एसोसिएशन के बैनर तले आयोजित हुआ और अध्यक्ष की उपस्थिति में हुआ, इसलिए उनके खिलाफ भी कार्यवाही की गई।

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बार अध्यक्ष पर आरोप:

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कमल नयन चौधरी ने स्वयं कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की, लेकिन प्रदर्शन के दौरान उपस्थित रहते हुए उन्होंने वक्ताओं को रोकने या उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का कोई प्रयास नहीं किया।

कोर्ट ने टिप्पणी की:

“बार एसोसिएशन की यह जिम्मेदारी थी कि उसके किसी सदस्य को मंच का उपयोग कोर्ट को बदनाम करने के लिए करने न दिया जाए।”

बार एसोसिएशन ने इनमें से केवल एक वकील को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसे कोर्ट ने अपर्याप्त माना।

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अध्यक्ष द्वारा प्रतिनिधि दायित्व से इनकार करने की दलील को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया और कहा:

“अपने सदस्यों द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों से खुद को अलग कर लेना, उनकी नैतिक जिम्मेदारी से उन्हें मुक्त नहीं करता।”

कोर्ट की टिप्पणियाँ:

खंडपीठ ने कहा कि अवमानना क्षेत्राधिकार का उपयोग सतर्कता से होना चाहिए, लेकिन जब किसी कार्रवाई से न्यायपालिका में जनता का विश्वास डगमगाने लगे, तो कठोर कदम उठाना ज़रूरी हो जाता है।

“लाखों लोगों को ज्यूडिशियरी पर गहरा विश्वास है… अवमाननापूर्ण आचरण की अनदेखी उस विश्वास को कमजोर कर सकती है।”

कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि वकीलों द्वारा जजों की सार्वजनिक आलोचना की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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कोर्ट के आदेश:

कोर्ट ने तीनों प्रतिवादियों के खिलाफ अपराधिक अवमानना का संज्ञान लिया और अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 17 के तहत नोटिस जारी किए:

  • अनिल कुमार भट्टाचार्य
  • पल्लवी तालुकदार
  • कमल नयन चौधरी (बार अध्यक्ष)

मामले की अगली सुनवाई 13 मई 2025 को होगी।

कोर्ट ने YouTube और प्राग न्यूज को निर्देश दिया कि वे संबंधित वीडियो को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दें। भारत सरकार और असम सरकार को भी इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।

स्थिति: नोटिस जारी; अगली सुनवाई 13 मई 2025 को।

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