पूर्व कर्नाटक मंत्री और खनन कारोबारी गली जनार्दन रेड्डी ने एक हाई-प्रोफाइल अवैध खनन मामले में सीबीआई अदालत द्वारा सात साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट का रुख किया है। रेड्डी ने सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर निचली अदालत के 6 मई के फैसले पर स्थगन और जमानत की मांग की है।
सीबीआई अदालत ने रेड्डी और अन्य को 2007 से 2009 के बीच अवैध लौह अयस्क खनन के लिए दोषी ठहराया था, जिससे सरकारी खजाने को ₹884 करोड़ का नुकसान हुआ था। अदालत ने सभी दोषियों पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया था।
गली जनार्दन रेड्डी इस मामले में आरोपी संख्या दो के रूप में नामित थे। उनके साथ उनके साले और ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास रेड्डी, खनन एवं भूविज्ञान के तत्कालीन निदेशक वी.डी. राजगोपाल और उनके निजी सहायक मेहफुज अली खान को भी दोषी ठहराया गया।

सीबीआई अदालत का यह फैसला उस चार्जशीट के 14 साल बाद आया है, जो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने दायर की थी। चार्जशीट में आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने लीज सीमाओं के चिन्हों में हेरफेर कर कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर स्थित पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील बेल्लारी रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियां संचालित की थीं।
तेलंगाना हाईकोर्ट आने वाले दिनों में गली जनार्दन रेड्डी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर सकती है।