इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी उधारकर्ता द्वारा पहले से अधिग्रहित संपत्ति पर अवैध रूप से पुनः कब्जा कर लिया जाता है, तो संपत्ति पर पुनः कब्जा प्राप्त करने के लिए SARFAESI अधिनियम, 2002 की धारा 14 के तहत नया आवेदन दिया जाना विधिसंगत है। अदालत ने संबंधित अपर जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह इस तरह के ताजा आवेदन को कानून के अनुसार सुनें और उस पर निर्णय लें।
यह निर्णय न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ द्वारा 4 जुलाई 2025 को DCB Bank Ltd. बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में पारित किया गया। यह याचिका रिट–C संख्या 18575/2025 के तहत दाखिल की गई थी।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता बैंक ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर कर विशेष रूप से गाजियाबाद के जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वे SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के तहत गांव लोनी, गाजियाबाद स्थित मकान संख्या 4, ब्लॉक H, सेक्टर 02 एवं 03, त्यागी मार्केट की जब्त संपत्ति का पुनः कब्जा दिलवाएं।
बैंक का कहना था कि पहले उक्त संपत्ति का कब्जा विधिक प्रक्रिया के तहत प्राप्त कर लिया गया था, किंतु उधारकर्ता ने उस पर पुनः अवैध कब्जा कर लिया, जिससे दोबारा कब्जा प्राप्त करने के लिए नया आवेदन आवश्यक हो गया।

याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलीलों में कई न्यायालयों के निर्णयों का हवाला दिया, जिनमें शामिल हैं:
- The Nashik Merchant Co-operative Bank बनाम District Collector, Jalna (बॉम्बे हाईकोर्ट, 2023)
- Bank of India बनाम M/s Maharana Electricals Pvt. Ltd. (बॉम्बे हाईकोर्ट, 2024)
- Kotak Mahindra Bank Ltd. बनाम महाराष्ट्र राज्य (बॉम्बे हाईकोर्ट, 2023)
इन निर्णयों में यह माना गया था कि यदि उधारकर्ता अवैध रूप से जब्त संपत्ति पर फिर से कब्जा करता है, तो जिलाधिकारी जैसे अधिकारी SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के तहत दोबारा आवेदन स्वीकार कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, M/s Sri Balaji Centrifugal Castings बनाम M/s ICICI Bank Ltd. (आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, 2018) के फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि यदि परिस्थितियां औचित्य सिद्ध करती हैं तो एक ही संपत्ति के लिए एक से अधिक आवेदन किए जा सकते हैं।
केरल और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णयों का भी उल्लेख किया गया, जिनमें यह कहा गया कि इस तरह की अवैध पुनःकब्जेदारियों से कानून के शासन को ठेस पहुंचती है और इसे सहन नहीं किया जा सकता। ये निर्णय यह भी स्पष्ट करते हैं कि धारा 14 के तहत पारित आदेश तब तक प्रभावी रहते हैं जब तक बकाया राशि की वसूली पूरी नहीं हो जाती।
न्यायालय की टिप्पणियां
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपरोक्त सभी न्यायालयों के निर्णयों से सहमति व्यक्त करते हुए कहा:
“विवादित मुद्दे पर विचार करने के पश्चात, हम बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लिए गए दृष्टिकोण से पूर्णतः सहमत हैं…”
अतः कोर्ट ने संबंधित अपर जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता की सुनवाई कर SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत प्रस्तुत नवीन आवेदन पर कानून के अनुसार आदेश पारित करें। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया दो माह के भीतर पूरी की जानी है।
निर्णय
कोर्ट ने यह कहते हुए रिट याचिका का निस्तारण किया कि अपर जिलाधिकारी याचिकाकर्ता की सुनवाई कर SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के तहत दाखिल ताजा आवेदन पर दो माह के भीतर निर्णय लें।
मामले का शीर्षक: DCB Bank Ltd. बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य
मामला संख्या: रिट–C संख्या 18575 / 2025