जोधपुर फैमिली कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही एक विवाहित महिला को उसके पति से गुजारा भत्ता पाने के अधिकार से वंचित कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए फैमिली कोर्ट नंबर 3 के जज दलपत सिंह राजपुरोहित ने महिला की आर्थिक मदद की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि उसका खर्चा कोई दूसरा व्यक्ति उठा रहा है।
मामला तब सामने आया जब जोधपुर के सूंथला की रहने वाली महिला ने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई। उसने दावा किया कि वह लंबे समय से अपने पति से अलग रह रही है। उसके पति कुचेरा के एक थोक व्यापारी हैं और उनकी मासिक आय करीब ₹1.25 लाख है। उनसे गुजारा भत्ता के तौर पर ₹30,000 देने को कहा गया।
हालांकि, पति के वकील हेमंत बावेजा ने दलील दी कि पत्नी तलाक लिए बिना ही दूसरे व्यक्ति के साथ लिव-इन में रह रही है। कोर्ट को बताया गया कि महिला और उसका पति दोनों ही लिव-इन में रह रहे हैं। उसकी बेटी के खर्चे उसके लिव-इन पार्टनर द्वारा पूरे किए जाते थे। दौसा एसपी को दिए गए बयान में इसकी पुष्टि हुई, जिसके बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 494 के तहत एक व्यक्ति के साथ उसके रिश्ते की पहचान की।
अपने बचाव में, महिला ने कहा कि वह आर्थिक रूप से अपने पैतृक परिवार पर निर्भर थी, जो अपनी आर्थिक स्थिति के कारण अनिश्चित काल तक उसका भरण-पोषण नहीं कर सकता था। उसने अपने परिवार पर लंबे समय तक बोझ न बनने की इच्छा व्यक्त की और अपने पति से अंतरिम भरण-पोषण का अनुरोध किया।