ओडिशा हाईकोर्ट ने पद्मश्री पुरस्कार को लेकर दायर एक रिट याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह विवाद अनावश्यक रूप से उत्पन्न किया गया है और याचिकाकर्ता ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। न्यायमूर्ति एस.के. पाणिग्रही की एकल पीठ ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया है।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता अंतर्यामी मिश्रा ने भारत सरकार और एक अन्य व्यक्ति (प्रतिवादी संख्या 2) के विरुद्ध यह याचिका दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके नाम पर किसी अन्य व्यक्ति ने पद्मश्री पुरस्कार का झूठा दावा किया है। उनके अनुसार उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार के लिए आवेदन किया था और उन्हें गृह मंत्रालय से चयन के संबंध में कॉल भी आया था।
याचिका में कहा गया कि धेनकनाल जिले का एक पत्रकार, जिसने कभी कोई पुस्तक नहीं लिखी, उसने अखबार में साक्षात्कार देकर स्वयं को पुरस्कार प्राप्तकर्ता बताया। जबकि अंतर्यामी मिश्रा ने ओड़िया भाषा में 29 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है। उन्होंने सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से गृह मंत्रालय से जानकारी भी मांगी थी, जहां से उन्हें दिल्ली पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी गई थी।

न्यायालय की टिप्पणी एवं विश्लेषण
न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ “कुछ फोन कॉल्स के आधार पर” अदालत का रुख किया कि उन्हें वर्ष 2023 के लिए पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुआ है। अदालत ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता को कई अवसर दिए गए, लेकिन वह यह प्रमाणित करने में असफल रहे कि उनका नाम कभी पद्मश्री पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की आधिकारिक सूची में शामिल किया गया था।
न्यायालय ने टिप्पणी की:
“यह दर्शाता है कि याचिकाकर्ता ने अनावश्यक रूप से विवाद उत्पन्न किया है, पुरस्कार की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और प्रतिवादी संख्या 2 की छवि धूमिल करने का प्रयास किया है।”
न्यायालय का निर्णय
याचिका को आधारहीन एवं अनुचित पाते हुए न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया और ₹10,000 का जुर्माना लगाया। यह राशि ओडिशा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, कटक को दस दिनों के भीतर पुस्तकों की खरीद हेतु अदा की जानी है।
न्यायालय ने कहा:
“ऐसे मामलों में यह उपयुक्त है कि याचिकाकर्ता पर ₹10,000/- का जुर्माना लगाया जाए, क्योंकि उन्होंने इस न्यायालय के बहुमूल्य समय का दुरुपयोग किया है।”