प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ₹250 करोड़ मूल्य के ईएसओपी (कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना) मामले की जांच के सिलसिले में एक वरिष्ठ अधिवक्ता को समन जारी किया है। यह मामला केयर हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा पूर्व रिलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (REL) अध्यक्ष को दिए गए स्टॉक विकल्प से संबंधित है।
केयर हेल्थ इंश्योरेंस, जो पहले रिलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस के नाम से जानी जाती थी और 2020 में रीब्रांड की गई थी, REL की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। जांच का केंद्र बिंदु है—पूर्व अध्यक्ष को 2.27 करोड़ से अधिक ईएसओपी (Stock Options) का आवंटन, जिसकी अनुमानित कुल कीमत ₹250 करोड़ बताई गई है। ईडी यह जांच कर रही है कि क्या यह आवंटन नियामकीय नियमों का उल्लंघन करता है या यह किसी व्यापक वित्तीय अनियमितता का हिस्सा है।
विधिक राय की जांच
वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजा गया समन, उस विधिक राय से जुड़ा है जो उन्होंने ईएसओपी आवंटन को उचित ठहराने के लिए दी थी। अब यह राय न केवल ईडी बल्कि बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की जांच के दायरे में है।

नवंबर 2023 में IRDAI ने केयर हेल्थ को निर्देश दिया था कि वह अभी तक प्रयोग न किए गए ईएसओपी को रद्द करे और पहले से जारी किए गए 75.7 लाख शेयरों को वापस खरीदे। प्राधिकरण ने पाया कि यह आवंटन बीमा क्षेत्र के उन नियमों का उल्लंघन करता है जो बिना पूर्व अनुमोदन के गैर-कार्यकारी निदेशकों को ₹10 लाख से अधिक का पारिश्रमिक देने पर रोक लगाते हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग जांच
IRDAI के निर्देश के बाद, ईडी ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की शिकायत के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। अगस्त 2024 में ईडी ने तलाशी अभियान चलाया और संबंधित अधिकारियों को आवंटित ईएसओपी शेयरों को फ्रीज कर दिया।
अब वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजा गया समन, ईएसओपी आवंटन की कानूनी वैधता और इसके पीछे की परिस्थितियों की गहराई से जांच का हिस्सा है।
कॉर्पोरेट विवाद भी जारी
यह मामला रिलिगेयर एंटरप्राइजेज में प्रमुख शेयरधारक बर्मन परिवार और पूर्व प्रबंधन के बीच चल रहे व्यापक कॉर्पोरेट विवाद के बीच सामने आया है। इसी क्रम में पूर्व अध्यक्ष ने दिसंबर 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर REL की 40वीं वार्षिक आम बैठक में उनके स्थान पर नए निदेशक की नियुक्ति से संबंधित प्रस्ताव को चुनौती दी थी।
याचिका में दलील दी गई थी कि यह प्रस्ताव न केवल कंपनी अधिनियम 2013 का उल्लंघन करता है बल्कि भारतीय रिज़र्व बैंक के 9 दिसंबर 2024 के उस निर्देश के भी खिलाफ है जिसमें कंपनी प्रबंधन में बदलाव पर रोक लगाई गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनका कार्यकाल 25 फरवरी 2028 तक है, इसलिए पुनर्नियुक्ति प्रस्ताव “अनावश्यक और अवैध” है। हालांकि, अदालत ने AGM पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और उन्हें निदेशक पद से हटा दिया गया।