दिल्ली हाई कोर्ट में DPS द्वारका पर फीस वृद्धि और छात्रों के उत्पीड़न के आरोपों के बीच प्रबंधन अपने हाथ में लेने की अभिभावकों की याचिका पर सुनवाई

दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS), द्वारका में चल रही फीस वृद्धि विवाद में एक बड़ा मोड़ आया है। स्कूल की कथित जबरन फीस वसूली और छात्रों के उत्पीड़न के आरोपों के बीच 100 से अधिक अभिभावकों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (LG) से स्कूल का प्रबंधन अपने अधीन लेने का अनुरोध किया गया है।

102 अभिभावकों द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्कूल लगातार दबाव बनाकर अभिभावकों से बिना स्वीकृति के अतिरिक्त फीस वसूलने की कोशिश कर रहा है। स्कूल पर “अस्वस्थ, गंदे और अमानवीय तरीके” अपनाने का भी आरोप लगाया गया है, जिसमें छात्रों के प्रबंधन के बहाने परिसर में बाउंसर तैनात किए जाने की बात कही गई है।

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सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विकास महाजन ने सुझाव दिया कि अंतिम निर्णय होने तक अभिभावक विवादित अतिरिक्त फीस का 50% जमा कर दें। हालांकि, अभिभावकों ने इसे असंभव बताते हुए मना कर दिया। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, मासिक फीस पहले ₹7,000 बढ़ाई गई और फिर बिना अनुमति ₹9,000 कर दी गई।

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याचिका में कहा गया है कि कई बार उपराज्यपाल कार्यालय में शिकायत देने और दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (DoE) के आदेशों का उल्लंघन बताए जाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। DoE ने 22 मई और 28 मई, 2024 के अपने आदेशों में स्कूल को 2022-23 सत्र में ली गई अतिरिक्त फीस लौटाने और छात्रों के साथ किसी भी प्रकार की शैक्षणिक हानि या दुर्व्यवहार न करने की सख्त चेतावनी दी थी।

अभिभावकों ने सवाल उठाया कि संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत उपराज्यपाल के पास प्रशासक के तौर पर स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का अधिकार होने के बावजूद DoE ने अब तक ऐसा क्यों नहीं किया।

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अभिभावकों की चिंता इस बात से और बढ़ गई है कि याचिका में एक अन्य मामले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें स्कूल पर छात्रों को लाइब्रेरी में बंद करने, कक्षाओं में जाने से रोकने, उनकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने और गार्ड्स के जरिए उन पर नजर रखने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। यह सब दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में गठित समिति की निरीक्षण रिपोर्ट में भी दर्ज किया गया है।

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