बेंगलुरु भगदड़ मामले में डीएनए एंटरटेनमेंट ने न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को कर्नाटक हाईकोर्ट में दी चुनौती

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की जीत के जश्न के दौरान 4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई दर्दनाक भगदड़ में 11 लोगों की मौत के मामले में आयोजक कंपनी डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया है। कंपनी ने उस न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को चुनौती दी है जिसमें उसे इस हादसे के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है।

इस मामले की जांच के लिए कर्नाटक सरकार ने सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जॉन माइकल डिकुन्हा की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में आयोजकों की “लापरवाह” कार्यशैली को इस भगदड़ का कारण बताया। रिपोर्ट में डीएनए, आरसीबी, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) और कुछ पुलिस अधिकारियों को भीड़ नियंत्रण में विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

READ ALSO  गुजरात हाईकोर्ट ने उस न्यायाधीश की बर्खास्तगी को कायम रखा जिसने न्यायिक प्रणाली में "सड़ांध" का समाधान होने तक काम पर लौटने से इनकार कर दिया था

रिपोर्ट में आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। हालांकि, डीएनए ने इन निष्कर्षों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि स्टेडियम के बाहर भीड़ नियंत्रण की पूरी जिम्मेदारी राज्य प्रशासन, विशेष रूप से पुलिस की थी।

Video thumbnail

शुक्रवार को डीएनए के वकीलों ने इस मामले का ज़िक्र कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ — न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी और न्यायमूर्ति एस.जी. पंडित — के समक्ष किया और शीघ्र सुनवाई की मांग की। अदालत ने 28 जुलाई को याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई।

अपनी याचिका में डीएनए ने आयोग की प्रक्रिया पर कई गंभीर आपत्तियां जताई हैं। कंपनी का कहना है कि रिपोर्ट की प्रति उसे उपलब्ध कराए बिना ही मीडिया को लीक कर दी गई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया, “इस तथ्य से कि रिपोर्ट को मीडिया में लीक कर दिया गया लेकिन याचिकाकर्ता को अब तक नहीं दिया गया, यह स्पष्ट है कि प्रतिवादियों ने पूर्व नियोजित प्रतिशोध की भावना से कार्य किया है।”

कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि उसके निदेशकों वेंकटा वरधना थिम्मैया और सुनील मैथ्यू को आयोग के समक्ष गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया, जबकि यह अधिकार 1952 के जांच आयोग अधिनियम के तहत सुनिश्चित है। साथ ही, उनके बयान रिपोर्ट में गलत ढंग से दर्ज किए गए और सुधार की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

READ ALSO  खेल संगठनों चलने के लिए पूर्व खिलाड़ियों की हाई नियुक्ति होनी चाहिए- जानिए हाई कोर्ट का फ़ैसला

डीएनए ने आयोग की जांच को “दिखावटी” करार देते हुए कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य केवल कंपनी को बलि का बकरा बनाना और जनता के आक्रोश को शांत करना था, ताकि सरकार और प्रशासन की विफलता पर पर्दा डाला जा सके।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles