राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति का असर अब सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। बुधवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्य कांत ने सुनवाई के दौरान संकेत दिए कि कोर्ट की कार्यवाही को पूरी तरह से वर्चुअल मोड में शिफ्ट करने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने अपने निजी अनुभव को साझा करते हुए बताया कि दिल्ली की जहरीली हवा ने उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
अदालत में यह चर्चा तब शुरू हुई जब वरिष्ठ वकीलों ने खराब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के बीच कोर्ट आने में हो रही स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का हवाला दिया।
CJI और वरिष्ठ वकीलों ने जताई चिंता
यह मामला तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी।
चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने प्रदूषण के कारण हो रही स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए भविष्य की सुनवाइयों के लिए व्यक्तिगत उपस्थिति (physical appearance) से छूट की मांग की।
राकेश द्विवेदी ने कोर्ट से कहा, “मुझे कंजेशन (सांस लेने में तकलीफ) की समस्या हो रही है… कृपया मेरे सहयोगी को नोट्स लेने की अनुमति दें। मैं अगली तारीख पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होना चाहता हूं।” उन्होंने आगे कहा कि सुबह की सैर (मॉर्निंग वॉक) पर जाने के बाद उन्हें दिक्कतें महसूस होने लगीं और वे अस्वस्थ हैं।
द्विवेदी की चिंताओं का समर्थन करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी सीनियर वकीलों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की। सिब्बल ने कहा, “हमारी उम्र में, हम इस जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं, जबकि AQI 400-500 के स्तर पर पहुंच गया है।”
“मैं भी अस्वस्थ महसूस कर रहा था”
वकीलों की दलीलों पर प्रतिक्रिया देते हुए, CJI सूर्य कांत ने शहर की बिगड़ती हवा के साथ अपना अनुभव साझा किया। CJI ने कहा, “कल मैं भी एक घंटे के लिए वॉक पर गया था। उसके बाद मुझे भी ठीक महसूस नहीं हो रहा था।”
इस दौरान बेंच ने वकीलों और वादियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कोर्ट के कामकाज में बदलाव की संभावना पर चर्चा की। विशेष रूप से 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के वकीलों के लिए वर्चुअल सुनवाई की अनुमति देने का सुझाव भी सामने आया।
हालांकि, CJI कांत ने स्पष्ट किया कि मौजूदा हाइब्रिड सिस्टम से पूरी तरह वर्चुअल या संशोधित व्यवस्था में जाने का कोई भी फैसला बार (वकीलों के संगठन) के साथ आम सहमति बनाने के बाद ही लिया जाएगा।
CJI ने कहा, “अगर मैं कोई फैसला लेता हूं, तो हम पहले बार को विश्वास में लेंगे। हम वकीलों और वादियों को होने वाली कठिनाइयों को देखेंगे।” उन्होंने आश्वासन दिया कि वे शाम को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे और यदि कोई प्रस्ताव मिलता है, तो उस पर उचित कदम उठाएंगे।
दिल्ली में “बहुत खराब” श्रेणी में हवा
वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट हाइब्रिड मोड में काम करता है, जहां वकील भौतिक या वर्चुअल दोनों तरीकों से पेश हो सकते हैं। लेकिन हवा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट ने अनिवार्य वर्चुअल सुनवाई की बहस को फिर से तेज कर दिया है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान किया गया था।
बुधवार की सुबह दिल्ली की हवा की गुणवत्ता “बहुत खराब” (Very Poor) श्रेणी में दर्ज की गई, जहां AQI 335 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 301 और 400 के बीच का AQI “बहुत खराब” माना जाता है, जो लंबे समय तक संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकता है। शहर पिछले कुछ हफ्तों से इन खतरनाक परिस्थितियों से जूझ रहा है।




