राष्ट्रीय राजधानी स्थित पटियाला हाउस कोर्ट के एक जिला जज ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके नाम और फर्जी हस्ताक्षर के साथ बनाए गए न्यायिक आदेश — जिनमें गिरफ्तारी वारंट और संपत्ति कुर्की आदेश शामिल हैं — को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया।
यह प्राथमिकी (FIR) 23 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली जिले के साइबर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई, जब कमर्शियल कोर्ट-01 के जिला जज ने रिपोर्ट किया कि “ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास” के तौर पर उनकी फर्जी पदावली और हस्ताक्षर वाले आदेश कई बार सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किए गए हैं। यह शिकायत उनके वरिष्ठ न्यायिक सहायक (SJA) के माध्यम से दी गई थी।
एफआईआर के अनुसार, पहली घटना 31 मई 2024 को सामने आई जब “State Vs Ms. Ankita” नाम से एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट वायरल हुआ। दूसरी घटना दिसंबर 2024 में दर्ज की गई, जिसमें “State Vs Sanket Suresh Satam” शीर्षक से दिनांक 2 दिसंबर 2024 का एक कथित संपत्ति कुर्की आदेश प्रसारित किया गया।

दोनों मामलों में जज को दिल्ली जिला न्यायालय में “ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास” के रूप में दर्शाया गया, जबकि उन्होंने ऐसे कोई आदेश कभी पारित नहीं किए और संबंधित दस्तावेजों में उनके हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए।
एफआईआर में कहा गया, “उपरोक्त के अतिरिक्त, मुझे व्हाट्सएप पर भी इसी प्रकार के संदेश प्राप्त हुए हैं और संबंधित उच्च अधिकारियों को इस संबंध में शिकायतें दी गई हैं। यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि ऊपर उल्लिखित आदेश/दस्तावेज, अर्थात् गिरफ्तारी वारंट एवं संपत्ति कुर्की आदेश, फर्जी हैं। मैंने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया है।”
जज ने यह भी बताया कि अब उनके पास न तो वे मूल संदेश हैं और न ही उन मोबाइल नंबरों की जानकारी है, जिनसे ये संदेश भेजे गए थे।
पुलिस जांच में पाया गया कि शिकायत की सामग्री और प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 204 (लोक सेवक के रूप में छद्म वेश धारण करना), 336 (जालसाजी), और 337 (न्यायालय अभिलेख या सार्वजनिक दस्तावेज की जालसाजी) के तहत अपराध बनते हैं। इसके आधार पर नई दिल्ली साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है।