दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के एक ट्रायल जज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई एक आधिकारिक आदेश के माध्यम से की गई है, जिसमें बताया गया है कि अधिकारी के खिलाफ एक अनुशासनात्मक कार्यवाही “विचाराधीन” है।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अरुण भारद्वाज द्वारा 29 अगस्त, 2025 को जारी किए गए इस आदेश में कहा गया है कि न्यायालय ने यह कदम “अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम 3 के उप-नियम (1) के खंड (ए) और दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा नियम, 1970 के नियम 27” के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए उठाया है।
निलंबन का आधार आदेश की शुरुआती पंक्तियों में ही स्पष्ट किया गया है, जिसके अनुसार दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के एक अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही “विचाराधीन है।” हालांकि, आदेश में इस कार्यवाही की प्रकृति या इससे जुड़ी अन्य किसी विशेष जानकारी का उल्लेख नहीं किया गया है।

हाईकोर्ट ने निलंबन की अवधि के लिए ट्रायल जज पर कुछ विशेष शर्तें भी रखी हैं। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस अवधि के दौरान, अधिकारी का मुख्यालय “प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दक्षिण, साकेत, नई दिल्ली का कार्यालय” होगा।
इसके अतिरिक्त, अधिकारी पर यात्रा संबंधी प्रतिबंध भी लगाया गया है। न्यायालय ने निर्देश दिया है कि उक्त अधिकारी “सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना दिल्ली नहीं छोड़ेंगे।”
निलंबन की अवधि के दौरान मिलने वाले भत्तों के संबंध में, आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि अधिकारी को “संबंधित नियमों के तहत स्वीकार्य निर्वाह और अन्य भत्तों का भुगतान किया जाएगा।”
इस आदेश की एक प्रति औपचारिक रूप से तीस हजारी और साकेत अदालतों के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (कानून एवं न्याय), हाईकोर्ट के सतर्कता विभागों और स्वयं उक्त ट्रायल जज को भेज दी गई है।