दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के उस परिपत्र पर रोक लगा दी, जिसमें गैर-निर्वाचित सदस्यों को उसके आगामी चुनावों में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया था। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करना ने दिल्ली एमेच्योर मुक्केबाजी संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई, जिसमें बीएफआई के 7 मार्च के निर्देश को चुनौती दी गई थी।
विवादास्पद परिपत्र में कहा गया था कि महासंघ के चुनावों में केवल बीएफआई की संबद्ध राज्य इकाइयों के निर्वाचित सदस्य ही अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। इस निर्णय के महत्वपूर्ण निहितार्थ थे, जिसमें भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करना भी शामिल था, क्योंकि नए नियमों के तहत उनके नामांकन को अयोग्य माना गया था। इसके अतिरिक्त, दिल्ली एमेच्योर मुक्केबाजी संघ के दो नामांकित व्यक्ति-रोहित जैनेंद्र जैन और नीरज कांत भट्ट-को भी रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अनुमोदित अंतिम चुनावी सूची से बाहर रखा गया था।
अपने फैसले में न्यायमूर्ति पुष्करना ने निर्दिष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया और परिणामों की घोषणा जारी रह सकती है, लेकिन वे चल रही कानूनी चुनौती के परिणाम के अधीन होंगे। इसका मतलब यह है कि अंतिम अदालती फैसले के आधार पर किसी भी चुनाव के नतीजों को संभावित रूप से उलटा या बदला जा सकता है।

अदालत ने केंद्र और भारतीय मुक्केबाजी महासंघ को नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। मामले की सुनवाई अगस्त में होनी है।