दिल्ली हाईकोर्ट में छह नए जजों ने ली शपथ, कुल संख्या बढ़कर 40 हुई

दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को छह नए जजों ने शपथ ली, जिससे अदालत में कामकाज करने वाले जजों की संख्या बढ़कर 40 हो गई, जबकि स्वीकृत पदों की कुल संख्या 60 है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य जज डीके उपाध्याय ने सभी जजों को शपथ दिलाई। ये सभी जज हाल ही में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अन्य हाईकोर्टों से दिल्ली स्थानांतरित किए गए हैं।

सबसे उल्लेखनीय नाम जस्टिस वी. कामेश्वर राव का है, जो मई 2024 में कर्नाटक हाईकोर्ट भेजे गए थे और अब अपने मूल कोर्ट — दिल्ली हाईकोर्ट — में वापस लौटे हैं। जस्टिस राव को 17 अप्रैल 2013 को दिल्ली हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज बनाया गया था और 18 मार्च 2015 को स्थायी जज नियुक्त किया गया था।

शपथ लेने वाले अन्य पांच जज इस प्रकार हैं:

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  • जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से आए हैं। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत कुरुक्षेत्र से की और 1988 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ में प्रैक्टिस शुरू की। 2014 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला और 10 जुलाई 2017 को अतिरिक्त जज बनाया गया।
  • जस्टिस अरुण मोंगा, राजस्थान हाईकोर्ट से स्थानांतरित हुए हैं। उन्होंने पंजाब में पढ़ाई की और पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। कानून की पढ़ाई के दौरान वे चंडीगढ़ में स्कूल में रसायन पढ़ाते थे। उन्होंने 1991 में वकालत शुरू की, 1997-98 में दिल्ली शिफ्ट हुए और अक्टूबर 2018 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज बने। नवंबर 2023 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट स्थानांतरित किया गया था।
  • जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला, इलाहाबाद हाईकोर्ट से आए हैं। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और 2003 में यूपी बार काउंसिल में नामांकन कराया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में सिविल, सेवा, संवैधानिक, राजस्व, आपराधिक और अन्य मामलों में प्रैक्टिस की। 3 अगस्त 2022 को उन्हें अतिरिक्त जज और 21 मार्च 2024 को स्थायी जज बनाया गया।
  • जस्टिस विवेक चौधरी, भी इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्थानांतरित हुए हैं। उन्होंने 1988 में मेरठ यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली और उसी साल 12 नवंबर को एडवोकेट के रूप में नामांकन कराया। उन्हें 20 फरवरी 2017 को अतिरिक्त जज और 14 मार्च 2018 को स्थायी जज बनाया गया।
  • जस्टिस नितिन वासुदेव सांबरे, बॉम्बे हाईकोर्ट से आए हैं। उनका जन्म 19 दिसंबर 1967 को नागपुर में हुआ। 1992 में नागपुर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ से कानून की डिग्री ली। उन्होंने 25 अगस्त 1992 को एडवोकेट के रूप में नामांकन कराया और पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद ए. बोबडे (तत्कालीन वरिष्ठ अधिवक्ता) के साथ अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट, नागपुर में वकालत की और 2004-07 तक नागपुर बार एसोसिएशन के सचिव रहे। उन्हें 6 जनवरी 2014 को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाया गया।
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इन नियुक्तियों से न सिर्फ दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि हाईकोर्ट कॉलेजियम की संरचना में भी बदलाव आएगा, जो भविष्य में न्यायिक फैसलों और प्रशासनिक मामलों पर असर डाल सकता है।

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