दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को अभिनेता परेश रावल की आगामी फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को तुरंत सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज़ होने वाली है और इसके पोस्टर में ताजमहल के गुंबद से भगवान शिव की मूर्ति निकलती हुई दिखाई गई है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ता की तत्काल सुनवाई की मांग को ठुकरा दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आज ही क्यों? प्रमाणपत्र कब जारी हुआ? यह स्वतः सूचीबद्ध हो जाएगा। माफ कीजिए।”
यह याचिका अधिवक्ता शकील अब्बास ने दायर की थी, जिन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में ताजमहल की उत्पत्ति को लेकर “मनगढ़ंत और भड़काऊ सामग्री” प्रस्तुत की गई है। अब्बास ने फिल्म की मौजूदा रूप में रिलीज़ पर रोक लगाने और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को दिए गए प्रमाणपत्र की समीक्षा या आवश्यक कट लगाने का निर्देश देने की मांग की, ताकि साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहे।
याचिकाकर्ता ने यह भी अनुरोध किया कि फिल्म में एक अस्वीकरण (डिस्क्लेमर) जोड़ा जाए, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि यह एक विवादित ऐतिहासिक कथा को दर्शाती है।
याचिका में कहा गया है कि ‘द ताज स्टोरी’ “झूठे तथ्यों और प्रचार” पर आधारित है तथा “इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करती है और गलत सूचना फैलाती है।”
इसमें कहा गया कि बिना किसी संशोधन के फिल्म की रिलीज़ “ऐतिहासिक अध्ययन में जनता के विश्वास को कमजोर कर सकती है, साम्प्रदायिक अशांति भड़का सकती है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ताजमहल की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान पहुंचा सकती है।”
याचिका में कहा गया, “फिल्म में कई ऐसे विभाजनकारी दृश्य हैं जो साम्प्रदायिक तनाव भड़का सकते हैं और समाज में शांति भंग कर सकते हैं। फिल्म ने भाजपा नेताओं और अन्य हिंदुत्व संगठनों द्वारा समय-समय पर दिए गए विवादास्पद बयानों को और बढ़ावा दिया है।”




