दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिण दिल्ली के खिड़की गांव स्थित एक एमसीडी संचालित प्राथमिक विद्यालय में कक्षाओं के अभाव पर गंभीर चिंता जताते हुए एमसीडी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की कार्यप्रणाली पर कड़ा रुख अपनाया है।
मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा,
“यह हमारी समझ से परे है कि बिना कक्षाओं के, केवल बाउंड्री वॉल, शौचालय और पानी पीने की जगह के सहारे कोई स्कूल कैसे चल सकता है।”

यह टिप्पणी तब आई जब अदालत को बताया गया कि एमसीडी के इस स्कूल को कक्षाओं को छोड़कर केवल सीमित मरम्मत व नवीनीकरण की अनुमति दी गई है। यह विद्यालय सूफी संत यूसुफ कत्थाल की मजार की दीवार से सटा हुआ है, जिसे एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
यह स्कूल 1949 में खिड़की गांव के बच्चों को शिक्षा देने के लिए बनाया गया था। 2012 में इसकी पुरानी इमारत को ध्वस्त कर दिया गया और करीब 350 छात्रों को दूसरे एमसीडी स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन एएसआई ने मजार के पास निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए कहा कि पुनर्निर्माण के लिए उसकी अनुमति (NOC) आवश्यक है।
याचिकाकर्ता खिड़की गांव रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से पेश वकील ने बताया कि 60 साल बाद गांव और आसपास की बढ़ती आबादी को देखते हुए स्कूल का पुनर्निर्माण आवश्यक हो गया है।
कोर्ट ने कहा कि उसने पहले भी 2023 में एमसीडी को एएसआई से अनुमति लेने को कहा था और एएसआई को छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। लेकिन एक साल बीतने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
“हमें ऐसा प्रतीत होता है कि एमसीडी और एएसआई दोनों ही इस स्कूल के पुनर्निर्माण को लेकर गंभीर नहीं हैं,” अदालत ने टिप्पणी की।
“यह चौंकाने वाला है कि अदालत के आदेश को एक साल बीत जाने के बाद भी लागू नहीं किया गया है। यह स्थिति अदालत की अवमानना के दायरे में आती है।”
2 जुलाई की सुनवाई में अदालत को बताया गया कि एएसआई ने पोर्टा केबिन, शौचालय, बाउंड्री वॉल और पेयजल सुविधा के मरम्मत की अनुमति दे दी है, लेकिन कक्षाओं के निर्माण की अनुमति अब भी लंबित है। एमसीडी के वकील ने कहा कि कक्षाओं के निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने एमसीडी को निर्देश दिया कि वह एएसआई से कक्षा निर्माण की अनुमति के लिए औपचारिक रूप से आवेदन करे, और एएसआई को आदेश दिया कि वह दो महीने के भीतर इस पर निर्णय ले। मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी।
अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक कक्षाएं नहीं बनतीं, तब तक स्कूल चलाना संभव नहीं है, और यह बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने प्रशासन को शीघ्र निर्णय लेने की नसीहत दी है।