वादियों को त्वरित न्याय दिलाने और कानूनी प्रक्रिया में होने वाली देरी को कम करने की दिशा में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम प्रशासनिक आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन मामलों में न्यायिक अधिकारियों (Judicial Officers) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, उनका तबादला हो जाने के बावजूद उन्हें ही वह फैसला सुनाना होगा।
चीफ जस्टिस के निर्देशानुसार जारी किए गए इस आदेश का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवल जज के तबादले की वजह से किसी केस की सुनवाई दोबारा न करनी पड़े, जिससे पक्षकारों का समय और संसाधन बर्बाद होता है।
क्या है नया निर्देश?
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अरुण भारद्वाज द्वारा 26 नवंबर 2025 को जारी आदेश (संख्या 48/D-2/Gaz.IA/DHC/2025) के मुताबिक, न्यायिक अधिकारियों को अपना कार्यभार छोड़ने से पहले उन सभी मामलों को अधिसूचित करना होगा जिनमें उन्होंने फैसला सुरक्षित रखा है।
आदेश में साफ तौर पर कहा गया है:
“तबादले के आदेश के बावजूद, न्यायिक अधिकारी को तय तारीख पर या अधिकतम 2 से 3 सप्ताह के भीतर उन सभी मामलों में फैसला सुनाना होगा जिनमें निर्णय सुरक्षित रखा गया था।”
यह निर्देश 18 नवंबर 2025 को जारी किए गए पिछले आदेश का ही विस्तार है।
फैसले की जानकारी कैसे मिलेगी?
पारदर्शिता बनाए रखने और वकीलों व वादियों की सुविधा के लिए हाईकोर्ट ने विशेष प्रक्रिया तय की है।
- फैसला सुनाने की तारीख उस कोर्ट की कॉज लिस्ट (Cause List) में तो दिखेगी ही जहां मामला चल रहा था।
- इसके साथ ही, जिस नई कोर्ट में न्यायिक अधिकारी का तबादला हुआ है, वहां की कॉज लिस्ट में भी इसे प्रदर्शित करना होगा।
- यह जानकारी आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध करानी होगी।
वादियाें को मिलेगी बड़ी राहत
अक्सर देखा जाता है कि किसी मामले में लंबी बहस पूरी होने और फैसला सुरक्षित होने के बाद अगर संबंधित जज का तबादला हो जाता है, तो नए जज के आने पर मामले की सुनवाई फिर से शुरू करनी पड़ती है। इससे फैसला आने में महीनों की देरी हो जाती है। दिल्ली हाईकोर्ट का यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि जजों के रोटेशन या ट्रांसफर का असर सुरक्षित रखे गए फैसलों पर न पड़े और लोगों को समय पर न्याय मिल सके।
इस आदेश की प्रति सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, दिल्ली पुलिस आयुक्त और वित्त मंत्रालय सहित अन्य महत्वपूर्ण विभागों को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दी गई है।




