दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2023 संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि संसद को बाधित करना भारत में आतंक फैलाने का सबसे आसान तरीका है।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब आरोपी मनोरंजन डी के वकील ने दलील दी कि संसद के अंदर रंगीन धुएं वाले कैनिस्टर छोड़ना कोई आतंकी कृत्य नहीं था, क्योंकि उसका उद्देश्य केवल बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उजागर करना था और धुआं हानिकारक नहीं था।
कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, “भारत में आतंक फैलाने का सबसे अच्छा तरीका है संसद को बाधित करना। आपने संसद को बाधित किया।”

यह मामला 13 दिसंबर 2023 की घटना से जुड़ा है, जब आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी ने लोकसभा कक्ष में दर्शक दीर्घा से कूदकर रंगीन धुआं छोड़ा और नारेबाजी की थी। इसी दौरान आरोपी नीलम आज़ाद और अमोल शिंदे संसद परिसर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। यह घटना 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले की बरसी पर हुई थी, जिससे सुरक्षा में गंभीर चूक पर सवाल खड़े हुए।
चारों को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि सह-आरोपी महेश कुमावत और विक्की झा ने अगले दिन आत्मसमर्पण किया था। आरोपियों ने दावा किया कि उनका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान महंगाई और गरीबी जैसे मुद्दों की ओर आकर्षित करना था। दिल्ली पुलिस ने इनके खिलाफ यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) और आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया।
मनोरंजन ने पहले ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था। उसका कहना था कि आरोप अस्पष्ट हैं और यूएपीए की धाराएं इस मामले में लागू नहीं होतीं। सागर शर्मा ने गुरुवार को जमानत याचिका दाखिल करते हुए नीलम आज़ाद और महेश कुमावत के साथ समानता के आधार पर राहत मांगी।
हालांकि, अदालत ने समानता के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, “आप संसद के अंदर थे। समानता नहीं बनती। आपको अपने मामले की मेरिट्स पर ही जमानत मिलेगी।”
इससे पहले अदालत ने आज़ाद और कुमावत को जमानत देते हुए स्पष्ट किया था कि उनका प्रदर्शन प्रतीकात्मक था और उसमें कोई आतंकी इरादा या गंभीर खतरे की भावना नहीं थी।
अदालत ने दिल्ली पुलिस के अधिवक्ताओं — अतिरिक्त लोक अभियोजक रितेश कुमार बहरी और अधिवक्ता दिव्या यादव — को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई के लिए 8 अक्टूबर की तारीख तय की है।